नई दिल्ली। दिल्ली की केजरीवाल सरकार को एक बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली सरकार के उस बिल को मंज़ूरी देने से मना कर दिया है, जिसमें AAP के 21 विधायकों के संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से अलग करने का प्रस्ताव था।
गृहमंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि बिल पर राष्ट्रपति के दस्तख़त से इनकार के बाद आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता पर सवाल खड़े हो गए हैं, ऐसे में सभी विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाएगी, जिसके बाद इन 21 सीटों पर दोबारा चुनाव कराया जा सकता है।
राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी
बिल को मंजूरी न मिलने के बाद आम आदमी पार्टी की आपात बैठक हुई। बैठक में बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी न मिलने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया। इधर, ये सभी 21 विधायक आज चुनाव आयोग जाएंगे। वहीं राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ पार्टी सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में भी है।
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट की श्रेणी में आया पद
केजरीवाल ने 2015 में दोबारा सरकार गठन के बाद अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव का पद दिया था, लेकिन वह ऑफ़िस ऑफ़ प्रॉफ़िट की श्रेणी में आ गया, जिस पर विपक्ष ने काफ़ी सवाल उठाए, जिसके बाद केजरीवाल सरकार अपने विधायकों को बचाने के लिए संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से दूर रखने के लिए एक बिल लेकर आई, जिसे कल राष्ट्रपति ने मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया।
अरविंद केजरीवाल ने साधा निशाना
बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी न मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर पीएम मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा कि
- मोदी जी लोक तंत्र का सम्मान नहीं करते। डरते हैं तो सिर्फ़ आम आदमी पार्टी से।
- किसी MLA को एक पैसा नहीं दिया, कोई गाड़ी, बंगला- कुछ नहीं दिया। सब MLA फ्री में काम कर रहे थे। मोदी जी कहते हैं- सब घर बैठो, कोई काम नहीं करेगा।
- एक विधायक को बिजली पर लगा रखा था, एक को पानी पर, एक को अस्पताल पर, एक को स्कूल पर. मोदी जी कहते हैं- न काम करूंगा न करने दूंगा।
- एक MLA बेचारा रोज़ अपना पेट्रोल ख़र्च करके अस्पतालों के चक्कर लगाता था। बताओ क्या ग़लत करता था? मोदी जी ने उसको घर बिठा दिया।