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पंजीयन और राजस्व विभाग तकनीकी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। राजस्व कोर्ट में तो सबसे ज्यादा मामले नामांतरण विवाद से ही जुड़े होते हैं। प्रदेश में सालाना दो लाख से ज्यादा रजिस्ट्रियां होती हैं। अभी यह व्यवस्था देश में सिर्फ हरियाणा में है। मध्यप्रदेश इस सुविधा को शुरू करने वाला दूसरा राज्य बन जाएगा।
अभी यह होता है
रजिस्ट्री के बाद नामांतरण के लिए आवेदन करना होता है। इसके तहसीलदार विज्ञापन जारी करते हैं। कई बार लोग आपत्ति कर अड़चन पैदा करते हैं। इस प्रक्रिया में पटवारी से लेकर तहसीलदार स्तर तक कई चक्कर काटने होते हैं। बड़े पैमाने पर रिश्वत भी देनी पड़ती है।
आगे यह होगा...
सभी तहसील न्यायालय आॅनलाइन किया होंगे। रजिस्ट्री होते ही केस सीधे तहसीलदार को आॅनलाइन ट्रांसफर होगा। चूंकि खरीदार और विक्रेता का वेरिफिकेशन रजिस्ट्री में ही पुख्ता हो जाएगा। इसके बाद वेरिफिकेशन सिर्फ लैंड रिकाॅर्ड का होगा। आवेदक को तहसील दफ्तर नहीं जाना होगा।
सबसे ज्यादा रिश्वत लेन-देन नामंतरण में ही
लोकायुक्त पुलिस के अधिकारी बताते हैं कि सबसे ज्यादा रिश्वत के लेन-देन के मामले नामांतरण के ही होते हैं। 20 फीसदी से ज्यादा कार्रवाई भी राजस्व अधिकारी-कर्मचारियों पर ही हुई है।