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दरअसल 2004 में विजयवर्गीय के महापौर रहते इंदौर नगर निगम में हुई मस्टरकर्मियों की नियुक्ति के दौरान चार लोगों की मस्टरकर्मी के रूप में फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आया था। इस मामले में लोकायुक्त की विशेष अदालत में आरोपियों के बयान भी हो चुके है लेकिन इस मामले में तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय को प्राथमिक जांच के बाद आरोपी नहीं बनाया गया था।
तत्कालीन सचिव बंशीलाल जोशी ने अपने प्रतिपरीक्षण में कहा था कि सभी नियुक्तियां तत्कालीन महापौर के आदेश पर की गयी थी और सभी नियुक्त कर्मचारियों की सैलेरी का भुगतान तत्कालीन निगमायुक्त पी नरहरी के आदेश के बाद किया गया था। इस मामले में एडवोकेट कपिल शुक्ला ने आवेदन पेश कर विजयवर्गीय के साथ वर्तमान इंदौर कलेक्टर और तत्कालीन निगम आयुक्त पी नरहरि को भी आरोपी बनाये जाने की मांग अदालत से की है।
ये मामला वर्ष 2004 का है, जब विजयवर्गीय इंदौर के महापौर थे। यदि इस आवेदन को अदालत स्वीकार करती है तो आने वाले दिनों में विजयवर्गीय और इंदौर कलेक्टर पी नरहरि की मुश्किलें बढ़ सकती है।