कौशल विकास केंद्रों में नई नियुक्तियों पर हाईकोर्ट का स्टे

भोपाल। मध्यप्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट ने एक याचिका पर बड़ा आदेश देते हुए राज्य के कौशल विकास केंद्रों में कर्मचारियों की नई भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी हैै एवं संविदा पर नियुक्त किए गए कर्मचारियों को अचानक हटाने पर राज्य सरकार, मध्य प्रदेश व्यावसायिक शिक्षा परिषद समेत प्रदेश के सभी कलेक्टरों को नोटिस जारी कर कोर्ट ने जवाब मांगा है।

पिछले दिनों प्रदेश के 113 कौशल विकास केंद्रों से बिना वजह करीब एक हजार कर्मचारियों को निकालने का आदेश जारी कर दिया गया था। अचानक आए इस फरमान ने कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है। कर्मचारियों को हटाने का ये आदेश मध्य प्रदेश व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद भोपाल ने जारी किया गया है। हटाए गए कर्मचारी इन दिनों राजधानी में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। 

अधिवक्ता आदर्श मुनि त्रिवेदी ने बताया कि, इस आदेश के बाद कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में दायर याचिका दायर की। जिसमें कहा गया कि कौशल विकास केंद्रों में कर्मचारियों की नियुक्तियां जिला स्तरीय व्यावसायिक शिक्षा परिषद द्वारा विभिन्न जिलों में की गईं थीं और संविदा भी जिला स्तरीय परिषद के साथ उनके कर्मचारियों के रूप में की गई, लेकिन मध्य प्रदेश व्यावसायिक शिक्षा परिषद ने सामान्य परिपत्र के आधार पर सेवा मुक्ति का सामान्य आदेश जारी कर दिया; जो कि नियमों के खिलाफ है। मामले पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सभी केंद्रों में नई भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। मामले पर अगली सुनवाई 14 जून को तय की गई है।

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