अफगानिस्तान सरकार को सोचना होगा

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। काबुल में भारतीय कर्मचारी का अपहरण यह बताता है कि अफगानिस्तान में जो भारतीय काम कर रहे हैं, वे कितनी खतरनाक परिस्थितियों में रह रहे हैं। अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास ने कुछ दिन पहले यह चेतावनी भी जारी की थी कि अफगानिस्तान में परिस्थिति बहुत खतरनाक है और यहां आने वाले विदेशियों को आतंकवादी हमलों और अपहरण जैसे अपराधों से खतरा है। अफगानिस्तान में अमेरिकी दूतावास ने भी इसी तरह की चेतावनी अमेरिकी नागरिकों के लिए जारी की है। इसके बावजूद हजारों की तादाद में भारतीय और अन्य विदेशी अफगानिस्तान में तरह-तरह के निर्माण कार्यों में और लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने में जुटे हुए हैं। कोलकाता की जूडिथ डिसूजा भी ऐसी ही एक महिला थीं, जो आगा खान फाउंडेशन के लिए काम कर रही थीं और अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति बेहतर बनाने के काम में अपना योगदान दे रही थीं।

भारत सरकार और अनेक गैर सरकारी संस्थाएं अफगानिस्तान में सक्रिय हैं और उनका काम समाज के तमाम वर्गों को प्रभावित करता है। भारत सरकार वहां सड़कें, बांध, बिजली घर, अस्पताल वगैरह बनवा रही है और निर्माण के क्षेत्र में चाहबार बंदरगाह भारत-अफगानिस्तान सहयोग का बड़ा उदाहरण है। इसी तरह अनेक सरकारी, गैर सरकारी संस्थाएं स्वास्थ्य, शिक्षा, बच्चों और महिलाओं के कल्याण जैसे कामों में लगी हैं। आम अफगान नागरिक इन कार्यों की वजह से भारत और भारतीयों के समर्थक हैं, लेकिन वे सारी ताकतें इसे पसंद नहीं करतीं, जो वहां हालात सामान्य नहीं होने देना चाहतीं। कई आतंकवादी संगठनों को यह लगता है कि इस तरह भारत अपना प्रभाव अफगानिस्तान में बढ़ा रहा है। वे तमाम विकास और निर्माण कार्यों को भी अफगान और भारत सरकार का प्रभाव बढ़ाने का षड्यंत्र मानते हैं और अक्सर बमबारी में सड़कों, बिजली-घरों या अन्य इमारतों को नष्ट करने में लगे रहते हैं या ऐसे काम करने वालों पर हमले करते हैं। 

तालिबान से ज्यादा उन्हें नियंत्रित करने वाले पाकिस्तानी तत्वों को अफगानिस्तान में भारतीय मौजूदगी से आपत्ति है। पाकिस्तानी रक्षा प्रतिष्ठान को यह लगता है कि अगर काबुल की सरकार भारत की मित्र हुई, तो भारत इसका इस्तेमाल पाकिस्तान को घेरने के लिए कर सकता है। पाकिस्तान यह चाहता है कि अफगानिस्तान में सत्ता उसके मित्रों नहीं, बल्कि कठपुतलियों के हाथ में रहे, ताकि अफगानिस्तान उसका उपनिवेश बना रहे। उसके इस रवैये की वजह से अफगानिस्तानी आम जनता के मन में पाकिस्तान के प्रति गहरी नाराजगी है, लेकिन तालिबान या अन्य आतंकवादी समूह कई कारणों से पाकिस्तान के साथ हैं। ये गुट भारतीय प्रतिष्ठानों पर हमले करते रहे हैं। कई बार इसके सबूत भी मिले हैं। जूडिथ डिसूजा को अगवा करने के पीछे ऐसा ही कोई षड्यंत्र हो सकता है।

जूडिथ डिसूजा एक तो भारतीय हैं और वह महिलाओं की बेहतरी के लिए काम कर रही थीं। ये दोनों ही बातें शायद उन्हें आतंकवादियों के निशाने पर ले आई हैं। हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि इस साहसी महिला को छुड़वाने में अफगान सरकार को कुछ करना होगा |
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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