सरकार से नाराज दलित महिला आईएएस सन्यास ले महामंडलेश्वर बनेंगी

भोपाल। मध्य प्रदेश की दलित आईएएस अफसर शशि कर्णावत नौकरी छोड़ने जा रही हैं। वे साध्वी बन रही हैं। उज्जैन में हुए सिंहस्थ कुंभ के दौरान उन्होंने 34 दिन व्यास गद्दी पर बैठकर एक पंडाल में गुजारे थे। एक इंटरव्यू में कर्णावत ने कहा है, ''मुझे पति और बच्चों ने महामंडलेश्वर बनने की मंजूरी दे दी है। इस बारे में मैं अंतिम फैसला जनवरी में लूंगी।'' बता दें कि फिलहाल वे सस्पेंड हैं। 33 साल से एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में हैं और 2 साल से सस्पेंड चल रहीं हैं। 

डॉ. कर्णावत मूलत: सागर जिले के देवरी की हैं। 1999 बैच की मप्र कैडर की हैं। 1983 से मंडला, कटनी और डिंडोरी में डिप्टी कलेक्टर व एडिशनल कलेक्टर रहीं। अब तक की 33 साल की सेवा में करीब 13-14 साल मंडला, झाबुआ और शिवपुरी में एडीएम के पोस्ट पर रहीं। 27 सितंबर 2013 को सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। उस वक्त वे यूथ एंड स्पोर्ट वेलफेयर डिपार्टमेंट में डिप्टी सेक्रेटरी थीं।

क्यों की गई थीं सस्पेंड?
कर्णावत को मंडला की स्पेशल कोर्ट ने 27 सितंबर 2013 को जिला पंचायत में वर्ष 1999-2000 में हुए प्रिंटिंग घोटाले में दोषी पाया था। कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाते हुए 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। उन्हें जेल भी भेज गया था, बाद में कर्णावत जमानत पर बाहर आ गईं। उसके बाद से सरकार डिपार्टमेंटल जांच करा रही है।

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