भोपाल। सिंहस्थ 2016 में बीमा घोटाला सामने आया है। इसके तहत सरकार ने बीमा कंपनी को करीब 2 करोड़ रुपए का प्रीमियम दिया, इस दौरान 300 से ज्यादा मौतें भी हुईं परंतु सरकार ने एक भी क्लेम नहीं लिया। कंपनी को सीधा लाभ पहुंचा दिया गया।
बता दें कि सिंहस्थ 2016 में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का दो-दो लाख रूपये का बीमा किया गया था। सरकार ने जनता के खजाने से न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी को 1 करोड़ 76 लाख 37 हजार 642 रूपये बतौर प्रीमियम अदा किए थे। इसमें दुर्घटना, मृत्यु, आगजनी, तूफान या शासकीय संपत्ति के नुकसान पर राशि बीमा कम्पनी को चुकाना थी। दुर्घटना बीमा सम्पूर्ण नगर निगम सीमा क्षेत्र में था जिसमें राज्य सरकार, केन्द्र सरकार के कर्मचारी 3061 हेक्टेयर में फैला मेला क्षेत्र और सभी पैरामिलिट्री फोर्स और पुलिस सभी शामिल थे।
यह पब्लिक लायबिलिटीज पर 100 करोड़ का तूफान, बाढ़, भूकम्प, आतंकी गतिविधियों पर 50 करोड़ का, आग लगने पर 25 हजार का, फायर पाॅलिसी के तहत एक लाख रूपये का बीमा प्रत्येक नागरिक और यात्री के लिये था।
न्यू इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी के मुख्य रीजनल मैनेजर दीपक भारद्वाज (भोपाल) और मेला अधिकारी अविनाश लवानिया (उज्जैन) के बीच मेमोरेण्डम आॅफ अण्डरस्टेन्डिंग 08.04.2016 को हुआ था, जिसमें प्रत्येक नागरिक का 2 लाख और प्रत्येक कर्मचारी का 5 लाख रूपये का बीमा दुर्घटना के 7 दिन के अन्दर दिये जाने का प्रावधान था, लेकिन मेले के नोडल अधिकारी अतिरिक्त कलेक्टर एसएस रावत ने पूरी बीमा अवधि में एक भी क्लेम का दावा पेश नहीं किया।
जबकि उक्त अवधि में जिला चिकित्सालय में 206 पोस्टमार्टम, 100 नागरिकों की दुर्घटना और डूबने से मौतें हुईं। सिंहस्थ में आंधी तूफान भी आया, जिसमें जो क्षतिपूर्ति हुई वह सरकार ने मुख्यमंत्री राहत कोष से दी, जबकि बीमा कंपनी से वसूली जानी चाहिए थी।
उज्जैन के आंधी तूफान में 6 लोग मारे गये और बीमा कम्पनी ने 12 लाख का मुआवजा तो दिया किन्तु आगजनी, आंधी तूफान और शहर में हुई दुर्घटना में मौत और संपत्ति को पहुंचे नुकसान पर कोई क्लेम नहीं दिया गया। नोडल अधिकारी की गलती कहें या बीमा कम्पनी की बेईमानी 1.76 करोड़ रूपया खर्च करने के बाद मात्र 12 लाख रूपये का क्लेम ले सके। बताया जाता है कि शासकीय दावे और बीमा कम्पनी की शर्तो को सार्वजनिक न करके अधिकारियों और बीमा कम्पनी ने षडयंत्र पूर्वक राशि हड़पी है। इस संबंध में सिंहस्थ के प्रभारी मंत्री भूपेन्द्र सिंह भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं।