
क्या हुआ घटनाक्रम
सुबह करीब 9 बजे पुराने बस स्टेंड पर शिक्षा विभाग के अंतर्गत चल रहे सर्व शिक्षा अभियान से जुड़े तमाम कर्मचारी एकत्रित होना शुरू हुए। ये कर्मचारी जिले के विभिन्न इलाकों में कार्यरत थे। इनमें 8 बीआरसीसी, दर्जनों सीएसी, स्कूलों में मध्याह्न भोजन बनाने वाले स्वयंसेवी, प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक, अध्यापक एवं संविदा शिक्षक सहित कई छात्रावासों की महिला अधीक्षक शामिल थे। ये सभी हाथों में बैनर लिए, कलेक्टर आॅफिस की ओर बढ़े। यहां डिप्टी कलेक्टर प्रजापति को ज्ञापन सौंपा। साथ ही एसपी शिवपुरी श्री कुर्रेशी को भी ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में शिवपुरी डीपीसी शिरोमणि दुबे के खिलाफ शुरू हुई पुलिस एवं प्रशासनिक जांच को खत्म करने की मांग की गई।
मीटिंग के नाम पर बुलाया था
शिवपुरी पहुंचे जिले भर के कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें सर्व शिक्षा अभियान के तहत चल रहे सर्वे की रिपोर्ट लेकर मीटिंग के लिए बुलाया गया था। शिवपुरी स्थित डीपीसी आॅफिस के सरकारी टेलीफोन से इस संदर्भ में उन्हे सूचना दी गई थी। बाद में बताया गया कि डीपीसी साहब की रैली में शामिल होना है। नहीं हुए तो कार्रवाई की जा सकती है।
आरएसएस के स्कूल से किया गया संचालन
इस अवैध रैली का कंट्रोल आरएसएस के एक स्कूल सरस्वती विद्यापीठ से किया गया। खुद डीपीसी शिरोमणि दुबे इस स्कूल में उपस्थित थे और पूरे घटनाक्रम को मॉनीटर कर रहे थे। रैली में आने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों से लगातार संपर्क में थे।
क्या है मामला
पिछले दिनों एक मुस्लिम शिक्षक के घर डीपीसी शिरोमणि दुबे ने छापामार कार्रवाई की थी। इस दौरान उन्होंने शिक्षक को उसके परिवार व पड़ौसियों के सामने अपमानित किया। जब पीड़ित शिक्षक ने शिकायत की तो उसे सस्पेंड करवा दिया गया। चूंकि डीपीसी को इस तरह की छापामारी का अधिकार नहीं था अत: आधा दर्जन से अधिक कर्मचारी संगठनों ने डीपीसी की इस कार्रवाई का विरोध किया। कलेक्टर एवं प्रभारीमंत्री को ज्ञापन सौंपे।
डीपीसी ने विरोधियों को देशद्रोही बताया
डीपीसी शिरोमणि दुबे ने प्रभारी मंत्री को ज्ञापन देने गए, अपने विरोधी कर्मचारियों को देश का गद्दार एवं सिमी का कार्यकर्ता बताया। मामला एक मुस्लिम शिक्षक का था अत: डीपीसी ने इसे साम्प्रदायिक मोड़ देने की कोशिश की। इसके बाद कर्मचारी भड़क गए और अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए।
डीपीसी के खिलाफ जांच के आदेश
पुलिस विभाग को मिले कर्मचारी संगठनों की शिकायत पर डीपीसी शिरोमणि दुबे के खिलाफ पुलिस जांच शुरू हो गई जबकि कलेक्टर शिवपुरी की ओर से डीपीसी की प्रतिनियुक्ति समाप्त करने हेतु जांच कर कार्रवाई के लिए एसडीएम को अधिकृत किया गया।
प्रदर्शन या विद्रोह
उपरोक्त जांच आदेशों के खिलाफ राज्य शिक्षा केंद्र के शिवपुरी मुख्यालय का उपयोग इस रैली के आयोजन के लिए किया गया। विभागीय अधिकारी के समर्थन में रैली की योजना सरकारी कार्यालय में बनाई गई। प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गई। किसी भी कर्मचारी संगठन का कोई समर्थन नहीं था। कर्मचारियों को मीटिंग के नाम पर बुलाया और कार्रवाई का डर दिखाकर रैली में शामिल किया गया। अत: इसे कलेक्टर के खिलाफ विभागीय विद्रोह कहा जा रहा है। जहां एक ओर इस रैली के आयोजक विभागीय एवं कानूनी कार्रवाई के दायरे में आते हैं वहीं दूसरी ओर इस रैली में शामिल अधिकारी/कर्मचारी भी कार्रवाई के दायरे में हैं। देखना यह है कि एक अधिकारी के कारण लगातार बदनाम हो रहा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इस संदर्भ में क्या कदम उठाता है।