भोपाल। मप्र में इन दिनों 'प्रमोशन में आरक्षण' को लेकर कर्मचारी वर्ग 2 भागों में बंट गया है। दोनों के निशाने पर सरकार है परंतु नई खबर यह है कि मप्र के दलित आईएएस अफसर इस मामले में कूद गए हैं। वो आग में घी डालने का काम कर रहे हैं, जबकि अनारक्षित वर्ग के आईएएस अफसर इसे कर्मचारियों की आपस की लड़ाई कहकर किनारे खड़े हुए हैं।
राजधानी में अजाक्स के एक होर्डिंग में आईएएस अफसर जेएन कंसोटिया का फोटो तक लगा दिया गया है। अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों के संगठन सपाक्स और पूर्व आईएएस अफसरों ने इसे सिविल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन बताया है। नियमानुसार कोई अफसर न अपना प्रचार-प्रसार कर सकता है और न ही धरना-प्रदर्शन या राजनीतिक मामलों में भाग ले सकता है। पूर्व आईएएस अफसरों की मानें तो ये प्रदर्शन न्यायपालिका के खिलाफ है। राजधानी के विभिन्न चौराहों पर जो होर्डिंग्स-बैनर लगाए गए, उनमें कुछ में संघ के अध्यक्ष और आईएएस अधिकारी जेएन कंसोटिया की फोटो है।
सामान्य वर्ग के कर्मचारियों के संगठन सपाक्स के अध्यक्ष डॉ. आनंद सिंह कुशवाह ने आरोप लगाया कि सरकार वर्ग विशेष को संरक्षण दे रही है। बड़वानी के तत्कालीन कलेक्टर अजय गंगवार को इसी तरह की राजनीति करने के कारण हटाया गया था। आईएएस अफसर समाज की आड़ में अपना प्रचार कर रहे हैं। कोर्ट में चल रहे मामले में सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं और सरकार ध्यान नहीं दे रही। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ रैली निकालना भी गलत है। यह हाईकोर्ट की अवमानना है। इससे पता चलता है कि आरक्षित वर्ग की संविधान में आस्था नहीं है।
कंसोटिया के पास कोई जवाब नहीं
इस संबंध में अजाक्स के अध्यक्ष जेएन कंसोटिया से बात की गई तो उन्होंने पूरा सवाल सुनने के बाद प्रवक्ता से बात करने को कहा, जबकि आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष बीपी सिंह ने सिविल सेवा नियमों की बात सुनने के बाद ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है।
पीएस भी चुप रह गए
होर्डिंग्स पर फोटो लगाने के सवाल पर सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मुक्तेश वार्ष्णेय ने चुप्पी साध ली। उन्होंने कहा कि जीएडी के वेबसाइट पर रुल्स अपलोड हैं, देख लें। वहीं मुख्य सचिव अंटोनी डिसा ने पूरे मामले को तो सुना, लेकिन टिप्पणी से इंकार कर दिया।
अनुचित है होर्डिंग्स में फोटो
सेवारत अधिकारी होर्डिंग्स, बैनर पर फोटो लगाएं, कमेंट्स लिखें। ये अनुचित है। जब सुप्रीम कोर्ट ने मामले को यथास्थिति रखा है, तो इस मुद्दे को लेकर संघ की पब्लिसिटी करना भी गलत है। वैसे ये सरकार पर निर्भर करेगा कि वह इस मामले में आचरण नियमों की किस तरह से व्याख्या करती है।
केएस शर्मा, पूर्व मुख्यसचिव
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सरकारी अफसर के लिए यह कदम उपयुक्त नहीं है। उन्हें इस तरह से नहीं करना चाहिए।
निर्मला बुच, पूर्व मुख्य सचिव
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कोर्ट का जजमेंट है, उसके खिलाफ खड़ा होना गलत है। वैसे भी आचरण नियमों से बंधे अफसर को पब्लिक फोरम पर नहीं आना चाहिए। नियमों में राजनीतिक स्टेटमेंट देने और ऐसे कार्यक्रम में शामिल होने पर रोक है।
सुभाषचंद्र त्रिपाठी, पूर्व पुलिस महानिदेशक