
पीएम मोदी ने यूपी की जनता से कहा, 'आप हमें मौका दीजिए, अगर काम नहीं कर पाया तो लात मारकर सत्ता से निकाल दीजिएगा.'
इस लाइन के बाद ही एक नई बहस शुरू हो गई। बहुत समय से चुप बैठा एक बड़ा वर्ग फिर से सक्रिय हो गया। लोग चाहते हैं कि देश की जनता को 'राइट टू रिकॉल' मिलना चाहिए।
क्या है राइट टू रिकॉल
यह एक ऐसा अधिकार है, जो जनता को निर्वाचित जनप्रतिनिधि को वापस बुलाने का अधिकार देता है। चुनाव के बाद यदि निर्वाचित जन प्रतिनिधि जनता के प्रति समर्पित भाव से काम नहीं करता, यदि वो अपने वादों, घोषणा पत्र के अनुसार पूरा नहीं करता। यदि वो भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाता है तो जनता को अधिकार होगा कि वो 5 साल पूरे होने से पहले ही उसे वापस बुला ले। भारत में कुछ निर्वाचित सदनों में यह अधिकार आंशिक रूप से लागू हो चुका है परंतु विधायक या सांसदों को वापस बुलाने का अधिकार अभी जनता के पास नहीं है। बुद्धिजीवि चाहते हैं कि जनता को अब यह अधिकार मिलना चाहिए। इस विषय पर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है।
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