नईदिल्ली। 21 जून को विश्व योग दिवस है। ज्यादातर लोग बाबा रामदेव को योग का ब्रांड एम्बेसडर माना जा रहा है लेकिन बिहार का एक स्कूल एैसा है जहां उस जमाने से योगा सिखाया जा रहा है जब बाबा रामदेव पैदा भी नहीं हुए थे। जी हां, बिहार के मुंगेर स्थित प्राचीन योग विद्यालय में 1963 से योगा सिखाया जा रहा है जबकि बाबा रामदेव का जन्म 1965 में हुआ। यह बात दीगर है कि इस स्कूल के संचालकों ने कभी अपनी ब्रांडिंग नहीं की और ना ही नेताओं की चापलूसी, लेकिन यह योगा स्कूल पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
पूरे विश्व में मुंगेर को योग नगरी के रुप में जाना जाता है। इस उपलब्धि के पीछे अनेक सिद्ध योगियों और गुरुओं का हाथ रहा है जिनमें से एक नाम विशेष रुप से उभर कर सामने आता है वो है बिहार योग विश्व विद्यालय मुंगेर के प्रेरक और संस्थापक श्रीस्वामी सत्यानंद सरस्वती।
सत्यानंद सरस्वती 1963 में मुंगेर आये और यहां आकर वे योग का प्रशिक्षण देने लगे। मुंगेर किला परिसर में योग आश्रम की स्थापना की गई और तबसे लेकर आजतक बिहार स्कूल ऑफ योगा विश्व को योग की शिक्षा देने का काम कर रहा है। आज विश्व के करीब 70 से अधिक देशों में योगआश्रम की शाखाएं फैली हुई हैं।
2013 में मुंगेर की धरती पर विश्व योग सम्मेलन का आयोजन बिहार स्कूल ऑफ योगा के द्वारा करवाया गया था, जिसमें 70 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। योग ऋषि मुनियों की कला थी और इस कला को जन-जन तक पंहुचाने का श्रेय मुंगेर के बिहार स्कूल ऑफ योगा को जाता है। योग एक विधा, विज्ञान के साथ साथ जीवनशैली है जिसे हमारे ऋषि- मुनी हजारों सालों से विकसित और परिष्कृत करते आये हैं. आज योग विधा सारी दुनिया में फैल चुकी है।