सिहोरा/जबलपुर। जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में सेना में पदस्थ सैनिक रामेश्वर पटेल 18 जून को शहीद हो गया। जिसकी सूचना परिजनों को शनिवार देर रात सिहोरा थाने से दी गयी। पूरे गाँव में मातम छाया हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सिहोरा थाना के ग्राम खुडावल तहसील मझौली निवासी रामेश्वर पिता मोतीलाल पटेल (35वर्ष) सेना में पदस्थ था। जो 2003 में सेना की भर्ती हुआ था। सेना के 22 ग्रेनेडियर्स में शनिवार 18 जून को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में शहीद हो गया। जिसकी सूचना मिलने के बाद से ही शहीद की माँ जयन्ति बाई एवम् पत्नि-बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल है जबकि पूरे खुडावल गाँव में शोक की लहर छायी है। जबकि सोमवार देर रात तक शहीद होने की वजह स्पष्ट नही हो पायी है और न ही परिजनों को यह जानकारी है की किन परस्थितियों में रामेश्वर पटेल शहीद हुआ है।
आज पहुंचेगा पार्थिव शरीर
प्राप्त जानकारी के अनुसार ख़ुडावल के रामेश्वर पटेल का पार्थिव शरीर आज सुबह पहुंचेगा और सैनिक सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी जायेगी। जबकि शहीद के घर सूचना मिलने के बाद से ही गाँव के लोगों का घर पर आना जाना लगा हुआ है और शहीद के पार्थिव देह के पहुँचने का गाँव के लोग और परिजनों को बेसब्री से इन्तजार था। जिसके साथ ही पूरे गाँव में मातम भी छाया हुआ है।
कृषक पिता का पुत्र था शहीद
कुपवाड़ा में शहीद रामेश्वर पटेल के पिता मोतीलाल पटेल किसान थे और माँ जयन्ती बाई गृहणी हैं शहीद के पिता थोडा बहुत क्रषि से अपने परिवार की जीविका चलाते थे और कृषि की आय से ही इन्होंने अपने बेटो को पढ़ाई करवाई जिनमे बड़ा बेटा नरेश पटेल मजदूरी करता है जबकि छोटा बेटा रामेश्वर 2003 में सेना की भर्ती में चला गया जिसकी वर्तमान में जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में पदस्थापना थी।
पांच वर्ष पहले हुई थी शादी
परिजनों ने बताया की नरेश (40वर्ष)और रामेश्वर दो भाई थे जिनमे रामेश्वर छोटा भाई था जिसकी पांच वर्ष पहले शादी पन्ना जिले के भरवारा गाँव में उषा पटेल के साथ हुई थी जिसका पुत्र आसू 3वर्ष का है । जो खुडावाल गाँव में ही रामेश्वर के माता पिता के साथ रहते थे ।
सेना में जाना पसन्द है यहाँ के युवाओं को
गाँव के लोगों ने बताया की मझौली तहसील के खुडावल की लगभग आबादी 400 घरों की हैं जिनमे गाँव का ज्यादातर युवा वर्ग सेना में जाना ही पसन्द करते हैं । जबकि गाँव से करीब 35 युवक सेना में भर्ती हैं जो देश की रक्षा करने में लगे हुए हैं।
पहले भी शहीद हुये इस गाँव से
गाँव के लोगों ने बताया की दस वर्ष पहले भी ख़ुडावल के राजेन्द्र उपाध्याय बालाघाट के लांजी में पदस्थ थे जो बम ब्लास्ट के दौरान शहीद हुए थे जिनकी याद एक बार फिर गाँव के लोगों के लिए ताजा हो गयी।