---------

लोकपाल-लोकपाल खेलना बंद कीजिये

राकेश दुबे@प्रतिदिन। लोकपाल कानून संसद से पारित है, लेकिन हैरानी की बात है कि लोकपाल संस्था का गठन नहीं हो पाया, यह कानून पिछली सरकार ने पास किया था। राजग सरकार को दो साल हो गए। यह सरकार लोकपाल का दायरा बढ़ाने को जरूर उत्साहित है, पर गठन के नाम पर चुप है। ताजा फैसले के मुताबिक विदेशी व घरेलू, दोनों तरह के स्रोतों से वित्तपोषित सभी गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) लोकपाल की जांच के दायरे में आएंगे। 

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के हाल में अधिसूचित नियमों के अनुसार, सरकारी अनुदान के तौर पर दो करोड़ से अधिक की राशि तथ विदेशी दान के रूप में दस लाख रुपए से अधिक राशि प्राप्त करने वाले एनजीओ के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मिलेगी, तो लोकपाल उसकी जांच कर सकेगा। लोक-हित के दावे के साथ काम कर रही संस्थाओं को जवाबदेह बनाने का मकसद अपने आप में एक नेक मकसद है।

लेकिन ,सरकार लोकपाल की नियुक्ति पर तो हाथ पर हाथ धरे बैठी है, पर वह तमाम एनजीओ को लोकपाल की जांच के दायरे में लाने के लिए तत्पर है। नए नियम के मुताबिक एनजीओ और उनके शीर्ष कार्यकारियों को प्रस्तावित भ्रष्टाचार निवारण निकाय के समक्ष आय व परिसंपत्तियों का ब्योरा दायर करना होगा। पर क्या यही प्रावधान लोकपाल की जांच के दायरे में आने वाले सभी लोगों के लिए किया गया है? तो कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत कंपनियों को लोकपाल की जांच से बाहर रहने की छूट क्यों?

लोकपाल की परिकल्पना शीर्ष स्तर के भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए की गई थी। इसके पीछे यह सोच थी कि अगर शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार रोक दिया जाए, तो उसका असर व्यवस्था के सभी सोपानों पर पड़ेगा। लोकपाल कारगर रूप से काम कर सके, इसके लिए भी जरूरी है कि उसके दायरे को अनावश्यक रूप से बहुत फैलाया न जाए। आखिर भ्रष्टाचार निरोधक दूसरी एजेंसियां, जो पहले से ही मौजूद हैं, वे किसलिए हैं? जरूरत इन सभी को स्वायत्त तथा अधिक सक्षम बनाने की है। 

विपक्ष में रहते हुए भाजपा सीबीआइ को स्वायत्त करने की वकालत करती थी, पर आज सीबीआइ का वही हाल है जो यूपीए के समय था। सभी राज्यों में लोकायुक्त नहीं हैं, जहां हैं भी, शिकायतों की जांच कराने के लिए उन्हें संबंधित राज्य सरकार का मुंह जोहना पड़ता है। उनके संसाधन बहुत सीमित हैं; उनकी भूमिका सिफारिशी होकर रह गई है। 
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!
$("#merobloggingtips-before-ad .widget").each(function () { var e = $(this); e.length && e.appendTo($("#before-ad")) }), $("#merobloggingtips-after-ad .widget").each(function () { var e = $(this); e.length && e.appendTo($("#after-ad")) });