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न्यायमूर्ति एसके गंगेले व जस्टिस एके जोशी की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अजय मिश्रा ने रखा। उन्होंने दलील दी कि इंदौर के सीवेज प्रोजेक्ट मामले में याचिकाकर्ता पर ठेकेदार से 2 करोड़ से अधिक का कमीशन लेने का आरोप सर्वथा बेबुनियाद है।
इसी आधार पर आयकर विभाग ने एक करोड़ से अधिक अतिरिक्त आय का निर्धारण करके 30 लाख का डिमांड नोटिस जारी कर दिया। जिसके खिलाफ पूर्व में हाईकोर्ट की शरण लेने पर आयकर आकलन अधिकारी के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत करने की व्यवस्था दी गई थी। जिसके आधार पर कदम उठाने पर दस्तावेजों के अवलोकन आदि की सुविधा से वंचित रखा गया। लिहाजा, न्यायहित में दोबारा हाईकोर्ट आना पड़ा।