
सूत्र बताते हैं कि वहां अचानक प्रियंका गांधी को आना पड़ा था। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी के बीच में सेतु का काम किया था। कांग्रेस के दिवंगत नेता अर्जुन सिंह ने भी इस संवाददाता को बताया था कि 2004 में सोनिया के पीएम पद से पीछे हटने की बड़ी वजह सुरक्षा की चिंताएं हैं।
वरिष्ठ नेताओं का एक प्रभावशाली धड़ा राहुल को कमान सौंपने की बात तो करता है लेकिन वह अभी इसके पक्ष में नहीं है। सूत्र बताते हैं इस धड़े के कुछ बड़े नेताओं को खुद का राजनीतिक भविष्य सताता है। इसलिए वह कुछ सही कारणों के साथ अन्य कारण जोड़कर कांग्रेस में संगठनात्मक सुधार में टाल-मटोल करने में सफल हो जाते हैं।
वरिष्ठ नेताओं में दिग्विजय सिंह, कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत कई नेताओं का ऐसा भी धड़ा है, जो खुलकर राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपने की वकालत करता है।युवा नेता और राहुल गांधी के समकक्ष चाहते हैं कि कांग्रेस उपाध्यक्ष पदभार ग्रहण करें। इस वर्ग को उम्मीद है कि राहुल के आगे आने पर जिस तरह से युवक कांग्रेस और एनएसयूआई में सुधार हुआ है, उसी तरह एआईसीसी का कायाकल्प होगा।
राहुल की सबसे विश्वस्त सलाहकार हैं प्रियंका गांधी। हर चुनौती की घड़ी में साथ-साथ। सूत्र बताते हैं कि प्रियंका राहुल के राजनीति में स्थापित होने के बाद खुद के बारे में फैसले की पक्षधर हैं। अभी वह राहुल और सोनिया के संसदीय क्षेत्र में प्रचार-प्रसार, प्रबंधन का जिम्मा संभालती हैं।
नियमित राहुल गांधी के दफ्तर से संपर्क रखती हैं और जरूरत के हिसाब से यूपी के नेताओं-कार्यकर्ताओं से फीड बैक लेती हैं। सूत्र बताते हैं कि प्रियंका राहुल के लगातार आगे बढ़ने के पक्ष में रहती हैं।राहुल गांधी की पदोन्नति संभव है।
एआईसीसी में संगठनात्मक सुधार, कुछ राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों में बदलाव की आहट सुनाई दे रही है। माना जा रहा है कि एक सलाहकार एपेक्स बॉडी के माध्यम से सोनिया गांधी कांग्रेस को दिशा देती रहेंगी और राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की प्रक्रिया इसी आधार पर मूर्त रूप लेगी। ताकि पार्टी आने वाले राज्य विधानसभा चुनाव के साथ-साथ 2019 के लोकसभा चुनाव में चुनौती दे सके। अंतिम निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष की सहमति पर निर्णय करेगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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