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लक्ष्मीनारायण शर्मा ने बताया कि मध्यप्रदेश सिविल सेवा पेंशन नियम 1976 में पेंशन की गणना हेतु 33 वर्ष की अर्हतादायी सेवा होना आवश्यक है। 33 वर्ष की अर्हतादायी सेवा पूर्ण होने पर अंतिम माह का मूल वेतन जिसमें मूल वेतन तथा ग्रेड पे सम्मिलित है के 50 प्रतिशत की दर से पेंशन देय होगी। यदि किसी कर्मचारी अधिकारी ने 33 वर्ष की अर्हतादायी सेवा पूर्ण नही की है तो उसे मूल वेतन के 50 प्रतिशत से कम पेंशन प्राप्त होती है।
लक्ष्मीनारायण शर्मा ने बताया कि यदि मध्यप्रदेश में कार्यरत कोई कर्मचारी अधिकारी जिसे मूल वेतन एवं ग्रेड पे मिलाकर उसका सेवानिवृत्ति की तिथि को अंतिम वेतन रूपये 17970 है और यदि वह 33 वर्ष की सेवा पूरी कर सेवानिवृत्त होता है तो उसे 8985 रूपये पेंशन मिलेंगी परन्तु यदि वह 30 वर्ष की सेवा पूरी करता है तो उसे 8168 रूपये और यदि वह 25 वर्ष की सेवा पूरी करता है तो उसे 6807 रूपये पेंशन मिलेगी।
केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को वे कितने भी वर्ष की सेवा करें उसे 8985 रूपये की पेंशन की पात्रता है क्योंकि केन्द्र सरकार ने 2006 मे अपने कर्मचारी अधिकारी को छंठवा वेतनमान में 33 वर्ष की अर्हतादायी सेवा के बंधन को समाप्त कर दिया है। अब जिस तिथि को केन्द्रीय कर्मचारी सेवा निवृत्त होता है उस माह के वेतन का 50 प्रतिशत उसे पेंशन की पात्रता आती है।
केन्द्र सरकार ने अखिल भारतीय सेवाओ के अधिकारियों के लिये हाल ही में एक परिपत्र जारी कर 2006 से पूर्व जो अधिकारी सेवा निवृत्ति हुए है और 33 वर्ष की अधिवार्षिकी आयु पूर्ण न करने के कारण जिन्हे कम पेंशन मिली है उन्हें भी 33 वर्ष की अधिवार्षिकी आयु की अर्हता से मुक्त कर पूर्ण पेंशन अर्थात जिस माह सेवानिवृत्त हुए उस माह के मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन देने का निर्णय लिया है।