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ये है बाग फरहतअफजा निवासी एक टीवी मैकेनिक सैय्यद मुबारक की काबिल बेटी सिदरा अली की आपबीतीरू
सिदरा ने बताया कि मैं आईडियल हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ती हूं। 16 मई को दसवीं का रिजल्ट आया। भरोसा था कि टॉप टेन लिस्ट में नाम होगा। लेकिन जब रिजल्ट आया तो मेरा नाम नहीं था। मैंने पर्चे निकाले। एक-एक सवाल और जवाब का मिलान किया। ऑनलाइन रिजल्ट देखा तो अंग्रेजी में 86 नंबर मिले थे। मुझे 90 नंबर से ऊपर मिलने थे। थोड़ी हताश हुई। अब्बा ने देखा तो बोले- यह आखिरी परीक्षा नहीं है। बारहवीं में कोशिश करना।
घर की माली अच्छी नहीं है। री-टोटलिंग का फार्म भरने के लिए जरूरी फीस के पैसे नहीं थे।अब्बा से कहूं या अम्मी से। इसी उधेड़बुन में पूरे 8 दिन गुजर गए। अब फार्म भरने के लिए 8 दिन का समय बचा था। हिम्मत जुटाई। अपने छोटे भाई अहफाज को तकलीफ बताई। उसने कहा, बचत वाली गुल्लक तोड़ लेते हैं। हमने गुल्लक फोड़ी तो उसमें 800 रूपए निकले। अगले दिन दोपहर में एमपी ऑनलाइन के कियोस्क पर जाकर अंग्रेजी विषय में री-टोटलिंग का फार्म भरा।
नंबर 96 की जगह 86 दर्ज थे
अंग्रेजी की आंसरशीट की फोटो कापी के लिए आवेदन किया। 15 जून को री-टोटलिंग का रिजल्ट आया। मेरे रोल नंबर के आगे लिखा था ‘नो-चेंज’। मैंने अंग्रेजी की परीक्षा की आंसरशीट आने का इंतजार किया। वह 24 जून को डाक से आई। कापी के पहले ही पन्ने पर मेरे नंबर 86 की जगह 96 दर्ज थे। मैंने फौरन कापी के पन्ने पलटे। नंबर जोड़ना शुरू किया। पेज नंबर छह पर पहुंची तो गफलत पकड़ में आई। दरअसल कापी जांचने वाले ने पेज नंबर पांच पर मेरे प्राप्तांक 36 लिखे थे, जो पेज नंबर पांच के कॉलम में 36 की जगह 26 दर्ज थे। इसके बाद कापी में एग्जामिनर ने नंबर लिखने और काउंट करने में कोई गड़बड़ी नहीं की थी। पेज नंबर पांच और छह के बीच नंबर की नोटिंग में हुई गड़बड़ी के कारण मेरे अंग्रेजी में कुल नंबर 96 की जगह 86 हो गए। इसके चलते मेरी मार्कशीट में मुझे 600 में से 574 नंबर देकर फर्स्ट डिवीजन से पास होना बताया गया।
टॉप टेन में छठवें नंबर पर 584 नंबरों के साथ तीन स्टूडेंट थे। जबकि टॉप टेन लिस्ट में 10वें स्थान पर रहे अभिषेक के नंबर 580 थी। यह गफलत न होती तो मेरे नंबर 584 होते और मैं भी मेरिट में छठवें स्थान पर होती।