भोपाल। एक फेसबुक पोस्ट के कारण हटाए गए बड़वानी कलेक्टर अजय गंगवार ने अब अपने टारगेट और टास्क तय कर लिए हैं। वो ब्यूरोक्रेट्स की अभिव्यक्ति की आजादी के लिए लड़ाई लड़ेेंगे। उनका कहना है कि किसी पोस्ट को लाइक या शेयर करना गुनाह नहीं हो सकता। ब्यूरोक्रेट्स भी इंसान होते हैं, उनकी भी अभिव्यक्ति होती है। यदि कोई कानून उनकी आजादी छीनता है तो उसे बदल दिया जाना चाहिए। उन्होंने जरूरत पड़ने पर राजनीति में उतरने के भी संकेत दिए हैं।
इस बीच विवादित पोस्ट को लेकर अपनी सफाई में गंगवार ने कहा कि उन्होंने 23 जनवरी 2015 को मोदी के खिलाफ फेसबुक पर न तो कोई पोस्ट किया है और न ही किसी पोस्ट को लाइक किया है, जिसके लिए उन्हें प्रदेश सरकार ने नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा, अगर मैंने 23 जनवरी को फेसबुक पर कुछ पोस्ट किया है या किसी पोस्ट को लाइक किया है, तो कारण बताओ नोटिस जारी करने में इतना समय क्यों लिया गया।
मुझे एक सप्ताह में नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है। मैं अपने जवाब में यह बताने वाला हूं कि फेसबुक पर मेरी टाइमलाइन पर मैंने मोदी के खिलाफ कोई पोस्ट नहीं की है और न ही ऐसी किसी पोस्ट को लाइक किया है। गंगवार ने आगे कहा कि मैं सरकार से उस तथाकथित पोस्ट के स्रोत के बारे में पूछना चाहूंगा। जरूर उन्हें सोशल मीडिया यह मसाला मिला होगा। वे लोग ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि नेहरू पर टिप्पणी के बाद मेरा तबादला करना सरकार के लिए उल्टा दांव पड़ गया है। हर तरफ उनकी आलोचना हो रही है। इससे ध्यान हटाने के लिए वे अब इस तरह का कदम उठा रहे हैं।
लेख को लेकर गंगवार के कथित पोस्ट या ‘लाइक’ पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रधान सचिव एसके मिश्रा, जिनके पास सामान्य प्रशासन विभाग भी है, का कहना है कि सरकार ने कार्रवाई तब की जब मोदी विरोधी पोस्ट की ओर ध्यान दिलाया गया। नेहरू पर गंगवार की टिप्पणी से इस नोटिस का कोई लेना-देना नहीं है।
इस घटनाक्रम को वैचारिक जंग बताते हुए गंगवार कहते हैं कि बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर जो भी सरकारी नीति है, वह संविधान के अनुसार होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होगा तो इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी। अपने रुख पर कायम इस आइएस अधिकारी ने यह भी कहा कि फेसबुक पर किसी चीज को ‘शेयर’ करना या ‘लाइक’ करना, लाइब्रेरी में किसी को किताब हवाले करने जैसा है। क्या इसके लिए भी किसी को सजा हो सकती है।
सरकार पर घेराबंदी का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार उनको ही तरजीह दे रही है, जो उसकी नीतियों-विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की कार्रवाई तब वाजिब मानी जाती जब मैंने किसी सरकारी कार्य को करने से मना किया होता। गंगवार ने यह भी कहा, ‘मैं पांच साल तक बच्चों के आधार कार्ड बनवाने के पक्ष में नहीं हूं, क्योंकि उनका कार्ड खो सकता है, उनका चेहरा बदल सकता है, फिर भी मैं इस आदेश का पालन कर रहा हूं।’ यह पूछने पर कि क्या उनका राजनीति में उतरने का इरादा है, उन्होंने कहा कि मैं एक सामाजिक व्यक्ति हूं, और एक सामाजिक व्यक्ति कभी भी राजनीतिक हो सकता है।