
संदेश साफ है कि जिस कंपनी ने वीवीआईपी हेलीकॉप्टर बेचने के लिए भारत में दलाली दी उसके साथ सौदा करके भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता। यह संदेश दुनिया भर की रक्षा उत्पाद बेचने वाली कंपनियों को दिया गया है कि किसी सौदे में भ्रष्टाचार को सहन नहीं किया जाएगा। उम्मीद की जा सकती है कि रक्षा सौदा करने वाली कंपनियां सचेत रहेंगी तथा किसी तरह घूसखोरी या दलाली का रास्ता नहीं पकड़ेगी। हालांकि बोफोर्स मामले में हम देख चुके हैं कि कंपनी को काली सूची में डालने के कारण एमएम होवित्जर तोपों के लिए गोले तक के लाले पड़ गए थे और करगिल युद्ध के समय ज्यादा कीमत देकर हमें गोले खरीदने पड़े।
संभवत: इसी का ध्यान रखते हुए सरकार ने इस मामले में कंपनी को थोड़ी राहत भी दी है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के अनुसार जिन मामलों में अनुबंध हो चुका है, उनके लिए उपकरणों की सालाना मरम्मत और पूर्व में हुई रक्षा आपूर्ति के लिए कंपनी से कल-पुर्जे का आयात जारी रहेगा। यह व्यावहारिक रवैया है। यानी कंपनी से पूंजी खरीद के हाल-फिलहाल के सौदे ही रद्द होंगे और काली सूची में बने रहने तक किसी तरह के हथियार या अन्य प्रकार के रक्षा सौदे नहीं होंगे। वैसे मोदी सरकार ने कंपनी के साथ नए सौदों पर पहले ही रोक लगा दी है।
सरकार ने फिनमेकेनिका की सहयोगी कंपनी से भारतीय नौसेना को 98 तारपीडो की प्रस्तावित आपूर्ति पहले ही रद्द कर चुकी है। यूपीए सरकार के दौरान यह सौदा करीब 1200 करोड़ रु. में हुआ था। रक्षा मंत्री का कहना है कि सरकार जल्द ही इसका विकल्प हासिल कर लेगी, लेकिन इसका प्रभाव केवल एक सौदे तक नहीं होगा। फिनेमेकेनिका भारत के लिए बहुत पुरानी रक्षा आपूर्तिकर्ता कंपनी है। अनेक निर्माणों में उसके साथ करार है। उदाहरण के लिए निर्माणाधीन 15बी (विशाखापत्तनम-क्लास) की चार विध्वंसक पनडुब्बियों और शिवालिक क्लास के 7 युद्धपोत को 127 एमएम ओटोमेलारा गन से लैस किया जाना है। ओटोमेलारा फिनमेकेनिका की सहयोगी कंपनी है। इस तरह फिनमेकेनिका से संबंधी अन्य परियोजनाओं के विकल्प हमको तलाशने होंगे।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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