भोपाल। संडे 12 जून को अजाक्स के सम्मेलन में अचानक पहुंचे सीएम शिवराज सिंह ने घोषणा तो कर दी लेकिन अब उसकी समीक्षा शुरू हो गई है। सीएम ने भरे मंच से कहा कि ' प्रदेश को सरकार और सीएम चलाएंगे, पदोन्नति में आरक्षण के लिए नया नियम बनाएंगे।' लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार नए नियम बना पाएगी, जबकि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। क्या यह एक सही प्रक्रिया होगी। क्या इस तरह सरकार सुप्रीम कोर्ट का अपमान नहीं कर रही। इसके इतर सीएम के समर्थन में भी दलीलें सामने आ रहीं हैं। आइए पढ़ते हैं, कुछ कानूनी विशेषज्ञों के विचार:
यह होगी नए नियम बनाने की प्रक्रिया
सीएम सेक्रेटेरिएट से सब-कमेटी के गठन के संबंध में जीएडी को निर्देश जारी किए जाएंगे। इस पर जीएडी आदेश जारी कर सब-कमेटी का गठन करेगा। कमेटी नए नियम बनाने में सभी कानूनी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद आरक्षण जारी करने के संबंध में अपनी सिफारिश कैबिनेट को सौंपेगी, जहां इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। इसके बाद सरकार नए नियमों को लागू करेगी।
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पदोन्नति में नए नियम बनाए जा सकते हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में है, ऐसे में सीएम का पदोन्नति में आरक्षण के बारे में कहना सियासी है।
जस्टिस फैजान उद्दीन, सेवानिवृत्त न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट
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संभव नहीं लगता कि पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में नियम-2016 बनाए जा सकते हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका पर कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया है। नहीं लगता कि कोर्ट की अवमानना कर सरकार जोखिम उठाएगी।
अमर सिंह, रिटायर्ड आईएएस अफसर
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हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के जो आदेश हैं, उन्हीं के अनुसार मप्र सरकार को पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने के संबंध में कदम उठाना होगा। सोच समझकर फैसला लेना होगा।
विवेक तन्खा, वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट
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सरकार पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में नियम-2016 बनाती है इसमें कहीं कोई दिक्कत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने आरक्षण के संबंध में नए नियम बनाने पर रोक नहीं लगाई है। यह राज्य सरकार का अधिकार है।
पुरुषेंद्र कौरव, हाईकोर्ट में राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता