इंदौर। देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नरेंद्र धाकड़ की नियुक्ति सवालों की जद में आ गई है। आरटीआई से जानकारी मिली है कि डॉ. धाकड़ के खिलाफ ईओडब्ल्यू में जांच चल रही थी, जबकि नियमानुसार कुलपति के बेदाग होना जरूरी था। इसके अलावा डॉ. धाकड़ की उम्र 65 वर्ष पूरी हो चुकी है, जबकि कुलपति की आयु 65 से कम होना अनिवार्य थी। अब इसकी शिकायत जीएसीसी के पूर्व प्राचार्य डॉ. एसएल गर्ग ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय को की है।
कुलपति पद की दौड़ में शामिल रहे डॉ. एसएल गर्ग ने डॉ. धाकड़ के मामले में आरटीआई में जो जानकारी निकाली, उसमें पता चला कि उनके खिलाफ 2013 में ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज थी। इस पर कार्रवाई के लिए 7 सितंबर 2013 को प्रकोष्ठ के महानिरीक्षक को कहा गया था। ईओडब्ल्यू ने 3 नवंबर 2013 को जांच के बाद इसे शासन के सचिव को कार्रवाई के लिए भेजा। जबकि राजभवन से 27 अगस्त 2015 को कुलपति नियुक्ति की नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन में लिखा गया था कि कुलपति पद के लिए इच्छुक अभ्यर्थी के खिलाफ विभागीय सहित लोकायुक्त, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ व अन्य संस्थानों में भी जांच लंबित नहीं होना चाहिए।
65 वर्ष पूरे होने पर भी बना दिया कुलपति
डॉ. धाकड़ की नियुक्ति में उम्र का नियम भी पालन नहीं किया गया। यूजीसी के नियमों के अनुसार 65 की उम्र पार कर चुका अभ्यर्थी कुलपति पद के लिए आवेदन नहीं कर सकता, लेकिन डॉ. धाकड़ 31 जुलाई 2015 को 65 वर्ष पूरे कर चुके थे। शिकायतकर्ता डॉ. गर्ग का कहना है राजभवन ने धाकड़ की शिकायतों एवं प्रकरणों तथा उम्र की जांच किए बिना चयन कर लिया गया।
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कोई पूछताछ नहीं की गई
मेरे खिलाफ शिकायत कब हुई, मुझे नहीं पता। कभी किसी ने मुझसे इस संबंध में पूछताछ भी नहीं की।
डॉ. नरेंद्र धाकड़, कुलपति देअविवि