E-Khasra के खिलाफ तहसीलदार/पटवारियों की हड़ताल का ऐलान

ग्वालियर। किसानों और आम लोगों को ई-खसरा उपलब्ध कराने कमिश्नर लैंड रिकॉर्ड विभाग द्वारा तैयार किए गए सॉफ्टवेयर के कारण प्रदेशभर के पटवारी और तहसीलदार आंदोलन पर उतर आए हैं। सॉफ्टवेयर के कारण फर्जी एंट्री कर सरकारी और निजी जमीन हथियाने के मामले सामने आए थे। इसके बाद सॉफ्टवेयर को बंद करा दिया गया था। इसके बाद सॉफ्टवेयर में मौजूद गड़बड़ियों को दूर किए बगैर फिर से इसे शुरू करने के विरोध में एकबार फिर तहसीलदार और पटवारियों ने विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया है। 

इसी क्रम में बुधवार को कलेक्टर डॉ. संजय गोयल को तहसीलदार और पटवारियों ने मांग पत्र सौंपकर अल्टीमेटम दिया कि 15 जुलाई तक सॉफ्टवेयर की गड़बड़ियों को दूर नहीं किया गया तो वे ई-खसरा से जुड़े काम करना बंद कर देंगे।

कलेक्टर डॉ. गोयल से तहसीलदार और पटवारियों ने मिलकर कुछ आपत्तियां जाहिर की हैं। तहसीलदारों ने जब कहा कि वे गड़बड़ियां दूर न किए जाने पर 15 जुलाई के बाद काम नहीं करेंगे तो कलेक्टर ने भी दो टूक कह दिया कि आंदोलन करें, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि जिले में कार्यों की पेंडेंसी नहीं आनी चाहिए। आपत्तियों को मप्र शासन तक पहुंचा दिया जाएगा।

ये आपत्तियां जाहिर की हैं-
नकल देने, संसोधन करने, नामांतरण करने आदि के लिए आवेदन किस स्तर पर लंबित है, इसके लिए ई-खसरा सॉफ्टवेयर में निगरानी का कोई प्रावधान नहीं है।

ई-खसरा परियोजना में वर्तमान वर्ष 2015-16 का अभिलेख डिजीटल हस्ताक्षरित है। जबकि इससे पूर्व वर्ष 2010 से वर्ष 2015 तक का अभिलेख डिजीटल हस्ताक्षरित नहीं है। इसके साथ ही जो राजस्व रिकॉर्ड ऑनलाइन किया है, वह 30 जनवरी 2015 तक की स्थिति का है। 1 फरवरी से 30 अप्रैल 2015 तक के संसोधन उक्त सॉफ्टवेयर में ऑनलाइन नहीं किए गए हैं। दोनों ही स्थितियों में किसानों द्वारा अपनी भूमि के संबंध में अभिलेख की मांग किए जाने पर डिजीटल हस्ताक्षर संबंधी प्रक्रिया पूरी तरह से नए सिरे से करना होगी।

ई-खसरा परियोजना में अभिलेख अद्यतन करने की प्रक्रिया में सर्वर पर एक प्रविष्ट की समय सीमा लगभग 10 मिनट निर्धारित है। बड़े नामांतरण और बटांकन जिनमें कई सारे खसरों नंबर शामिल होते हैं, अपडेट करने के दौरान सर्वर ही लॉगआउट हो जाता है।

सॉफ्टवेयर को रन कराने वाली कंपनी के कर्मचारियों द्वारा राजस्व रिकॉर्ड से छेड़छाड़ किए जाने के मामले सामने आए। समस्या के समाधान के लिए बॉयोमेट्रिक मशीन का उपयोग किया गया, लेकिन इससे समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ।

- ई-खसरा परियोजना में जब नकल के लिए आवेदन लगाते हैं तो एक पेज पर एक ही सर्वे नंबर का प्रिंट आता है, जिसके 30 रुपए किसानों और आम लोगों से वसूले जाते हैं। जबकि यही काम पहले मात्र 10 रुपए में होता था और एक पेज पर कई सारे सर्वे नंबर प्रिंट होते थे।

इन्होंने सौंपा ज्ञापन
तहसीलदार रामनिवास सिकरवार, भूमिजा सक्सेना, शुभ्रता त्रिपाठी, नायब तहसीलदार मधुलिता सिंह तोमर, अनिल राघव, पटवार संघ के प्रांतीय संयोजक रंधावा सिंह खत्री, जिला अध्यक्ष ज्ञान सिंह राजपूत सहित कई तहसीलदार और पटवारियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!