नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपने अंशदाताओं को पेंशन स्कीम के लिए ऐच्छिक तौर पर योगदान करने की अनुमति दे सकता है। यह योगदान नियोक्ता के अनिवार्य अंशदान के अलावा होगा। इससे संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद ज्यादा पेंशन पाने का रास्ता खुलेगा। यह जानकारी ईपीएफओ के केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त वीपी जॉय ने सोमवार को दी।
उन्होंने कहा, "हम रिटायरमेंट के बाद और अधिक फायदों के लिए ईपीएस 95 में कर्मचारियों को योगदान करने की इजाजत देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। यह योगदान कर्मचारी खुद करेंगे।" फिलहाल नियोक्ता कर्मचारी पेंशन स्कीम 1995 (ईपीएस-95) में 15,000 रुपये के मासिक मूल वेतन पर 8.33 फीसद का योगदान करता है।
ईपीएस योगदान की कटौती के लिए मूल वेतन की सीमा पंद्रह हजार रुपये ही है। इसलिए किसी पेंशन खाते में अधिकतम योगदान 1,424 रुपये प्रति माह हो सकता है। इसमें मूल वेतन का 1.16 फीसद सरकारी सब्सिडी भी शामिल है, भले ही कर्मचारी इस सीमा से अधिक वेतन पा रहा हो। ईपीएफओ के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड की ओर से मंजूरी मिलने के बाद कर्मचारियों के पास नियोक्ता के अलावा ईपीएस 95 में अतिरिक्त अंशदान करने का विकल्प होगा।
मौजूदा सूरतेहाल में तीन दशक तक औसतन 15,000 रुपये मासिक के मूल वेतन वाली नौकरी करने के बाद किसी कर्मचारी को अधिकतम 7,500 रुपये प्रति माह पेंशन मिल सकती है। बड़ी संख्या में कर्मचारियों के बढ़े हुए वेतन के मद्देनजर ईपीएफओ उनके लिए और अधिक पेंशन सुनिश्चित करने की खातिर अतिरिक्त राशि के अंशदान की अनुमति देने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है।
चूंकि ईपीएस 95 के तहत पेंशन का महंगाई के साथ कोई रिश्ता नहीं है, इसलिए यह रिटायरमेंट के बाद बिल्कुल स्थिर रहती है। मजदूर यूनियनें इस स्कीम के अंतर्गत पेंशन को महंगाई के साथ जोड़ने और न्यूनतम मासिक पेंशन 3,000 रुपये करने की मांग कर रही हैं। हालांकि, सरकार ने न्यूनतम मासिक पेंशन 1,000 रुपये प्रतिमाह तय कर रखी है।