
दो साल में जितनी सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी पेट्रोलियम पर बढ़ाई गई है, उसे ही कम कर दें तो डीजल 10 रुपए सस्ता हो जाएगा। नवंबर 2014 में एक्साइज ड्यूटी 9 रुपए लीटर थी। जो बार-बार बढ़ाकर ब्रांडेड डीजल पर 20 रुपए पहुंच गई है। जबकि अनब्रांडेड पर 16 रुपए। ये सरासर धक्केशाही है।
यही हाल पेट्रोल और रसोई गैसों का भी है। सरकार ने पिछले 2 सालों में तमाम उत्पादों पर बेतहाशा टैक्स बढ़ाए हैं। केंद्र के अलावा राज्य सरकारों ने भी टैक्स में इजाफा किया है। आम आदमी की रोजाना की जरूरत वाली चीजों पर इस तरह बेतहाशा टैक्स थोपना एक लोकतांत्रिक सरकार के लिए तो कतई उचित नहीं है।