भोपाल। संघ प्रचारकों एवं भाजपा के दिग्गज नेताओं के बीच लॉबिंग में माहिर भाजपा नेता हितेष वाजपेयी दर्जा प्राप्त मंत्री नहीं बल्कि पॉवरफुल विधायक बनना चाहते हैं। इसी रणनीति के चलते उन्होंने नागरिक आपूर्ति निगम अध्यक्ष पद छोड़ने की इच्छा जताई है। राजनीति में शुचिता का दिखावा करने के लिए उन्होंने संगठन का काम करने की पेशकश की है। जबकि सूत्रों का दावा है कि वो भोपाल के जिलाध्यक्ष बनना चाहते हैं और 2018 में विधायक।
पार्टी सूत्रों का दावा है कि डॉ.वाजपेयी ने भोपाल के भाजपा विधायकों और महापौर आलोक शर्मा से चर्चा की है, लेकिन अभी उन्हें किसी ने आश्वस्त नहीं किया। माना जा रहा है कि जिलाध्यक्ष बनने के बाद उनकी नजर विधानसभा सीट पर भी है। भोपाल सहित प्रदेश के 10 जिलों में भाजपा के संगठन चुनाव होना बाकी है।
पिछले 6 साल से भोपाल में मौजूदा अध्यक्ष एवं महापौर आलोक शर्मा पदस्थ हैं। महापौर बनने के बाद से पार्टी शर्मा का विकल्प तलाशने में जुटी है, दावेदार कई हैं लेकिन संगठन को उत्तराधिकारी नहीं मिल पाया। यहां जिलाध्यक्ष पद पर सक्रिय एवं सभी के बीच स्वीकार्य व्यक्ति ही तैनात हो पाता है।
उस पर सत्ता-संगठन के मुखियाओं से निरंतर संपर्क और कार्यक्रमों का दबाव भी रहता है। इसलिए अटका चुनाव भोपाल के विधायकों और नेताओं के बीच सहमति न बन पाने से चुनाव अटका है। विधायकों को अंदेशा रहता है कि भावी जिलाध्यक्ष बाद में कहीं उनकी विधानसभा सीट से टिकट का दावेदार न बन बैठे।
अभी दावेदारों के रूप में मौजूदा महामंत्री अनिल अग्रवाल लिली, सत्यार्थ अग्रवाल और विकास विरानी, उपाध्यक्ष अशोक सैनी एवं उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता के समर्थक रामदयाल प्रजापति के नाम शामिल हैं।