
एम्स में एमबीबीएस पाठ्यक्रम सितंबर 2012 में शुरू हुआ था। पहले बैच के विद्यार्थियों की पढ़ाई पूरी होने में अब महज 6 महीने बचे हैं, लेकिन उनकी पढ़ाई अधूरी ही हुई है। अब पीजी कोर्सेस शुरू किए जा रहे हैं। किन विषयों में पीजी शुरू होगी, इसका निर्णय 23 और 24 दिसंबर को एम्स में होने वाली बैठक के बाद लिया जाएगा। एम्स के प्रभारी डायरेक्टर डॉ. नितिन नागरकर एम्स भोपाल आकर विभागों की स्थिति का जायजा लेंगे। जिन विषयों में तैयारियां मिलेंगी, उनमें पीजी शुरू कर दी जाएगी। संभवत: कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन, माइक्रोबायोलॉजी, फिजियोलॉजी आदि विभागों में पीजी कोर्सेस शुरू हो सकते हैं।
एम्स में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए आवश्यक सुविधाएं नहीं हैं। स्त्री रोग विभाग में डिलेवरी शुरू नहीं हो पाई है। अस्पताल में न लेबर रूम है और न ही आॅपरेशनल आईसीयू है। ट्रामा और इमरजेंसी यूनिट भी नहीं बनी है। आपातकालीन परिस्थितियों में मरीजों का उपचार कैसे किया जाता है, यह विद्यार्थियों को अभी तक सिखाया ही नहीं गया है। मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजीकल लैब और लाइब्रेरी में भी पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। अस्पताल में बिस्तरों की संख्या भी कम है। वर्तमान में एमबीबीएस विद्यार्थियों की संख्या को देखते हुए 350 बिस्तरों का अस्पताल होना जरूरी है।
पीजी कोर्सेस शुरू करने के लिए सबसे जरूरी फैकल्टी का होना है। एम्स में वर्तमान में सिर्फ 59 फैकल्टी हैं। हालांकि एम्स ने 251 फैकल्टी के लिए विज्ञापन निकाले हैं। जुलाई-अगस्त तक एम्स में नए फैकल्टी मेम्बर आने की संभावना है। एम्स में 2014 तक पीजी कोर्सेस शुरू करने की योजना थी। अब 2016 के अंत तक ही पीजी शुरू हो पाएगी। एम्स के डिप्टी डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन नीरेश शर्मा का कहना है कि पीजी कोर्स शुरू करने पर एम्स प्रबंधन का पूरा फोकस है। जरूरी सुविधाएं जुटाकर दिसंबर-जनवरी के नए सत्र से इसे प्रांरभ कर दिया जाएगा।
रतलाम में बंदोबस्त ही अधूरे, कैसे होगी मेडिकल की पढ़ाई
मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया द्वारा रतलाम मेडिकल कॉलेज की संबद्धता को हरी झंडी दे दी गई है। वर्ष 2016-17 के शैक्षणिक सत्र शुरू होगा। मगर बड़ा सवाल यह है कि अधूरे बंदोबस्त के बीच मेडिकल शिक्षा कैसे शुरू होगी? जुलाई 2016 से शुरू होने जा रहे नए शैक्षणिक सत्र में 150 विद्यार्थियों की कक्षाओं सहित आवास का बंदोबस्त करने व प्रोफेसर व स्टाफ सहित अत्याधुनिक संसाधनों से जिला अस्पताल को लैस करना सबसे बड़ी चुनौती रहेगी। हालांकि अभी नवनियुक्त डीन डॉ. लक्ष्मी मारू ने ज्वाइनिंग नहीं दी है। संभावना है कि उनकी ज्वाइनिंग के बाद इन सब संसाधनों की व्यवस्था कैसे हो, इस पर विचार होगा। जिला अस्पताल प्रशासन के अनुसार वर्ष 2016-17 का शैक्षणिक सत्र में शामिल होने वाले 150 विद्यार्थियों की पढ़ाई जिला अस्पताल में ही शुरू की जाएगी। इसके लिए महज 10 माह शेष हैं। ऐसे में 550 बिस्तर वाले जिला अस्पताल में मरीजों के उपचार के साथ शैक्षणिक सत्र में विद्यार्थियों को पारंगत करने के लिए आवश्यकताओं की कमी के साथ अव्यवस्था उपजना लाजिमी माना जा रहा है।
इन सुविधाओं की रहेगी दरकार
- जिला अस्पताल में 150 विद्यार्थियों की कक्षा संचालित करने के लिए भवन।
- विद्यार्थियों सहित स्टाफ के आवास की व्यवस्था।
- अत्याधुनिक संसाधन सहित बेहतर उपचार।
- अत्याधुनिक पोस्टमार्टम रूम, जिसमें शव को लंबे समय तक रखा जा सके।
- मरीजों की बीमारी के कारणों को जानने के लिए अत्याधुनिक लैब।
- मेडिकल कॉलेज संचालन के लिए मेस व प्रबंधन कार्यालय।