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इतने हाई एजुकेटेड कैंडिडेट्स के अप्लाई करने से डिपार्टमेंट भी हैरान है। इस वजह से पूरे मामले की जानकारी चीफ सेक्रेटरी को भेजी गई है। फोर्थ क्लास की मामूली पोस्ट पर हाई क्वालिफाइड कैंडिडेट द्वारा अप्लाई करने के पीछे की पहली वजह बेरोजगारी है। सरकारी नौकरी का लालच और जॉब सिक्युरिटी भी इसकी प्रमुख वजह है। पूरे प्रदेश में बहुत कम ऐसी प्राइवेट नौकरियां हैं जहां श्रम कानूनों का पालन होता है। अत: अच्छा काम करने के बावजूद, नौकरी का खतरा लगातार बना रहता है।
एज लिमिट का लाभ लेने के लिए
इतनी बड़ी संख्या में इंजीनियर या डिप्लोमा होल्डर्स के फॉरेस्ट गार्ड की एग्जाम देने पर सवाल भी खड़े हुए हैं। ऑफिशियल सूत्रों का कहना है कि फॉरेस्ट गार्ड में एज लिमिट 28 साल है।सामान्य प्रशासन विभाग का नियम है कि यदि कोई गवर्नमेंट एम्प्लॉई है तो उसे भर्ती परीक्षाओं में पांच साल की छूट मिलती है। फॉरेस्ट गार्ड में आने वाले लोग भी कहीं इस छूट के लिए ही तो नहीं आ रहे, इसकी जांच भी की जा रही है। आने वाले समय एज लिमिट घटाया जा सकता है।
ऐसे आंकड़े किसी भी अन्य परीक्षा में नहीं
पीईबी की ओर से चीफ सेक्रेटरी और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को भेजी गई जानकारी में बताया गया कि ऐसे आंकड़े अब तक किसी भी अन्य एग्जाम में नहीं मिले हैं। फॉरेस्ट गार्ड की नौकरी जंगलों के भीतर होती है। डिपार्टमेंट को अंदेशा है कि ये पीएचडी या इंजीनियर फॉरेस्ट गार्ड बनते भी हैं तो काम कैसे करेंगे? पिछले दो-तीन सालों का एक्सपीरियंस है कि ग्रैजुएट या पोस्ट ग्रैजुएट ही यह नौकरी छोड़ देते हैं। फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक सतीश त्यागी का कहना है कि ड्रॉप आउट का प्रतिशत 15 से 20 है।