
प्री पेपर वाराणसी में और मेन्स का सोशोलॉजी का पेपर भोपाल, पब्लिक एड का दिल्ली और मेन्स के जनरल पेपर विंध्याचल (मिर्जापुर) में लीक हुए थे। यहीं अभ्यर्थियों की तैयारी कराई गई थी। पेपर आगरा की सरकारी प्रेस से ही लीक होने को आधार मानकर एसटीएफ बेदीराम से राज उगलवाना चाहती है कि उसे पेपर कौन देता था।
बेदीराम का तो नाम भी नहीं सुना था एसटीएफ ने
आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर की परीक्षा में मई 2014 में पेपर लीक होने के मामले में जांच कर रही एसटीएफ को एमपी पीएससी के प्री और मेन्स के पेपर लीक की भनक भी नहीं थी। इसका खुलासा दिल्ली क्राइम ब्रांच को राजीव प्रसाद से मिली, जिसे पीएमटी पेपर लीक मामले में पकड़ा गया था और उसने एमपीएससी पेपर हल करना स्वीकारा था। इस खुलासे के बाद मप्र एसटीएफ ने राजीव को हिरासत में लेकर पूछताछ की।
मेन्स का ही पता था राजीव को भी
राजीव पटना में इंजीनियरिंग में टॉपर था और उसे एमपी पीएससी 2012 के मेन्स का लीक पेपर हल करने बिहार के अखिलेश पांडे ने इलाहाबाद बुलवाया था। अखिलेश को पहले ही एसटीएफ आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर परीक्षा के पेपर लीक कराने के मामले में गिरफ्तार कर चुकी थी। राजीव ने बताया कि विंध्याचल (मिर्जापुर) में उसने एक धर्मशाला में 11 लोगों के पेपर हल कराए। पूछताछ में उसने बताया कि मप्र आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर परीक्षा मंे पहले से ही अभियुक्त अखिलेश से हुई पूछताछ में पता चला था कि मास्टर माइंड बेदीराम था और पेपर आगरा से लीक हुआ था।
प्री के लिए कटनी में इकठ्ठा हुए थे अभ्यर्थी
हैरानी की बात है कि इस दौरान एसटीएफ को एमपी पीएससी प्री के लीक होने की जानकारी नहीं थी। आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर की परीक्षा के मामले में ही पहले से गिरफ्तार एक अन्य आरोपी बजेंद्र शर्मा ने बताया कि उसने और इल्यास (इल्यास भी आयुर्वेदिक परीक्षा मामले में आरोपी) एमपीपीएससी के प्री एग्जाम का पेपर भी लीक हुआ था। उसने ही दस लड़को को पहले कटनी बुलवाया जहां से वे उन्हें लेकर वाराणसी पहुंचा। यहां एक मैरिज गार्डन में पेपर लीक किया गया।