मुंबई। स्पेशल मकोका कोर्ट ने नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) से क्लीन चिट मिलने के बावजूद 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह की जमानत याचिका एक बार फिर खारिज कर दी। साथ ही एनआईए की दोबारा जांच के तरीके पर भी सवाल उठा दिया। साध्वी प्रज्ञा अब हाई कोर्ट में अपील करेंगी।
मकोका कोर्ट के जज एसडी टेकाले ने 20 पेज का आदेश दिया। उन्होंने एनआईए के साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ सबूत न होने के दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने एनआईए की उस दलील को भी खारिज कर दिया कि इस मामले में मकोका लागू नहीं होता। जज ने बताया कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में मकोका लागू होता है। जज ने एनआईए के दोबारा जांच के तरीके पर सवाल उठाए।
एटीएस पर सवाल उठा चुकी हैं साध्वी
साध्वी प्रज्ञा इस मामले में पिछले आठ सालों से जेल में हैं। उन्होंने पहले इस मामले की जांच करने वाली एजेंसी एटीएस पर शोषण का भी आरोप लगाया था। एटीएस ने इस मामले में दो चार्जशीट दाखिल की थी। एटीएस ने साध्वी को ब्लास्ट की साजिश रचने का आरोपी बनाया था। हालांकि वो इस आरोप से इनकार कर चुकी हैं।
तीसरी बार खारिज हुई जमानत याचिका
साध्वी प्रज्ञा के वकीलों ने इससे पहले भी कोर्ट में दो बार जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन दोनों बार जमानत याचिका खारिज हो गई। ये तीसरी बार है कि उनकी जमानत याचिका खारिज हो गई। साध्वी के वकीलों ने मकोका कोर्ट में 30 मई को जमानत याचिका दायर की थी।