OFFICE OF PROFIT: स्काउट गाइड की जमीनों पर थी शिक्षामंत्री की नजर

भोपाल। स्काउट गाइड संस्था के चीफ कमिश्नर एवं मप्र के शिक्षामंत्री पारस जैन बुरी तरह फंस गए हैं। आॅफिस आॅफ प्रॉफिट मामले में फंसे पारस जैन के मामले में खुलासा हुआ है कि वो काफी समय पहले से ही स्काउट गाइड की जमीनों पर नजर गढ़ाए बैठे थे। इतना ही नहीं वो स्काउट गाइड में दखल भी दे रहे थे। 

अक्टूबर 2014 में राष्ट्रीय स्काउट गाइड आयुक्त को लिखें अपने पत्र में पारस जैन ने बताया कि प्रदेश सरकार ने स्काउट गाइड की राज्य इकाई को दी जाने वाली अनुदान राशि बंद कर दी है। जैन ने इंदौर के शिक्षा अधिकारी को भी एक पत्र लिख दिया कि इंदौर में चिमन बाग स्थित संस्था की जमीन की जानकारी दी जाए। राज्य मुख्य आयुक्त बनने के बाद उन्होंने उज्जैन स्थित संस्था की जमीन पर कमर्शियल कांप्लेक्स बनाने का भूमि-पूजन केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत से करवा लिया। मप्र के सबसे लोकप्रिय हिंदी अखबार दैनिक भास्कर ने दावा किया है कि उसके पास इस मामले के सारे दस्तावेज मौजूद हैं। 

साफ है कि लाभ के इस पद पर आने के लिए जैन ने काफी पहले से तैयारी कर रखी थी। यह पहली बार हुआ है कि राज्य मुख्य आयुक्त का पद स्कूल शिक्षा मंत्री के पास हो। 

जानकारी के मुताबिक स्काउट गाइड में राज्य मुख्य आयुक्त का पद प्रशासनिक होता है। संस्था के अधिकांश महत्वपूर्ण निर्णय उसके द्वारा ही लिए जाते हैं। ऐसे में पारस जैन के बचने की कम उम्मीद ही नजर आ रही है। मुख्य आयुक्त बनने के बाद जैन ने कई वित्तीय व प्रशासनिक निर्णय लिए हैं। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने इस मुद्दे को निर्वाचन आयोग तक पहुंचा दिया है। यही नहीं, जैन को नियम विरुद्ध राज्य मुख्य आयुक्त बनाए जाने की शिकायत राष्ट्रीय स्काउट एवं गाइड से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक की गई हैं। 

ये कहते हैं नियम 
संस्था के नियमों में साफ है कि राज्य मुख्य आयुक्त वही बन सकता है जो नामांकन पत्र भरने की तिथि के पूर्व कम से कम तीन वर्ष तक संस्था का सदस्य रहा हो। नियमों के अनुसार मुख्य आयुक्त राज्य कार्यकारिणी समिति का अध्यक्ष होने के साथ संस्था का मुख्य प्रशासक भी होता है। यानि सभी प्रशासनिक निर्णय उसी के द्वारा लिए जाते हैं। संस्था के सूत्रों के अनुसार जैन कभी स्काउट गाइड के सदस्य ही नहीं रहे। जनवरी में चुनाव के दौरान ही उन्होंने संस्था की सदस्यता ली थी। साफ है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान एक बार फिर गलतबयानी का शिकार हुए है। उन्होंने कहा था कि स्काउट गाइड संस्था के नियमों में ही लिखा है कि स्कूल शिक्षा मंत्री मुख्य आयुक्त रह सकते हैं। यह लाभ के पद में नहीं आता। 

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