
मामला मुंबई का है। भोपाल निवासी पीड़ित उपभोक्ता प्रमोद सिंह ने बताया कि उन्होंने पत्नी संध्या व बेटे निपेंद्र के संयुक्त नाम से मुंबई के विले पार्ले इलाके में 13 मार्च 2003 को एक फ्लैट बुक कराया था। सिंह ने शामिक इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा बनाए जा रहे प्रोजेक्ट में 10वीं मंजिल पर एक फ्लैट 2 करोड़ 70 लाख रुपए में बुक किया था। इसकी पहली किस्त 59 लाख 80 हजार 810 रुपए चेक से और 30 लाख 43 हजार रुपए नगद दिए।
अनावेदक की ओर से वतिन शाह ने ये रुपए लिए थे। इस तरह वे 90 लाख 23 हजार 810 रुपए जमा कर चुके थे। जब उन्होंने एक साल बाद साइट जाकर देखी तो प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हुआ था। इस पर उन्होंने बिल्डर से बुकिंग कैंसिल करने की बात की तो उसने टालमटोल शुरू कर दी। इस मामले में अनावेदकों में से हरीश से बातचीत करने की कोशिश की तो उन्होंने बात करने से मना कर दिया। इससे तंग आकर उन्होंने बेंच में अप्रैल में याचिका दायर की।
3 माह में दें राशि, नहीं तो देना होगा ब्याज
नेशनल बेंच के प्रोसिडिंग सदस्य जेएस मलिक ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि शामिक इंटरप्राइजेस लिमिटेड कंपनी ने किए गए वादे को पूरा नहीं कर सेवा में कमी की है। इस मामले में उन्होंने निर्णय दिया कि बिल्डर 90 लाख 23 हजार 810 रुपए एक मार्च 2014 से 18 प्रतिशत ब्याज समेत लौटाए, 50 हजार रुपए परिवाद व्यय दें। 90 दिन के अंदर रुपए वापस न करने पर पूरी राशि पर 9 फीसदी ब्याज देना होगा।