
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक जब आबकारी विभाग ने फर्जी डीडी का मामला थाने में दर्ज कराया था उसके बाद भी जांच में सुस्ती पाई गई और आरोपियों को उनकी कारगुजारियों को अंजाम देने के लिए पूरा समय दिया गया। राजपूत के अलावा दो टीआई के कामकाज की भी जांच की जा रही है। इसमें यह भी देखा जा रहा है कि किस आधार पर बैंक अधिकारियों पर मामला दर्ज किया गया है।
लोकायुक्त-सीबीआई की जांच में और चेहरे होंगे बेनकाब
पद का दुरूपयोग करने के मामले में कलेक्टर प्रकाश जांगरे, आबकारी अधिकारी आरसी त्रिवेदी सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, अब जांच में अन्य आरोपियों के बढ़ने की संभावना है। एफआईआर में 27 आरोपियों के नाम हैं और 63 दिन बीतने के बाद कलेक्टर हटाए जाने के पहले गिरफ्तारी शून्य रही। कल दो मुख्य आरोपी बल्लन तिवारी व पुष्पेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया गया। दूसरी ओर संबंधित बैंक अधिकारियों के खिलाफ भी सीबीआई जांच शुरू हो गई है। सीबीआई इस पहलू पर जांच कर रही है कि इतने सारे डीडी फर्जी बनने में उनकी भूमिका तो नहीं?
AAP ने खोला एसपी के खिलाफ मोर्चा
आम आदमी पार्टी के सुशील जैन एवं सुनील मिश्रा ने आरोप लगाया कि डीडी कांड में एसपी गौरव राजपूत की भूमिका भी संदिग्ध है। एसपी ने भी पद का दुरुपयोग करते हुए आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। सुशील जैन ने कहा कि यदि सीआईडी और लोकायुक्त मामले को संज्ञान में लेकर जांच न करते तो कलेक्टर-एसपी की सांठगांठ होने के कारण फर्जी डीडी के मामले में शराब ठेकेदार को क्लीन चिट दे दी जाती। मिलकर डीडीकांड में लीपापोती करके फाइल को क्लीन चिट दे देते। इस प्रकरण में कटनी एसपी की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच होना चाहिए।