MUMBAI. किसी विषय को समझाने के लिए किस तरह के उदाहरण प्रस्तुत करें कि बात का बतंगड़ ना बन जाए, यह मामला इसका बड़ा सटीक उदाहरण है। भाजपा विधायक रवींद्र चव्हाण ने दलितों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को समझाने के लिए एक ऐसा उदाहरण पेश कर दिया, कि अब उल्टे लेने के देने पर पड़ रहे हैं। इस प्रसंग में उन्होंने दलितों को 'सुअर का बच्चा' करार दे दिया। अब देशभर में इसका तीखा विरोध हो रहा है।
डोम्बिवली से विधायक रवींद्र चव्हाण ने एक कार्यक्रम में कहा, 'अब्राहम लिंकन (पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति) अपने सहकर्मियों के साथ जा रहे थे। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि हर मनुष्य स्वार्थीं होता है। उन्हें लगता है कि हर चीज में थोड़ा-बहुत स्वार्थपन होता है। इस बातचीत के दौरान उन्होंने गटर में सूअर के एक बच्चे को देखा और अपनी कार रोक दी। उन्होंने उसे बचाया और एक सुरक्षित जगह पर छोड़ दिया। इसके बाद वह फिर से यात्रा करने लगे।'
बीजेपी विधायक ने आगे कहा, 'बातचीत फिर से शुरू हो गई। उनके दोस्तों से पूछा कि सूअर के उस बच्चे को बचाने के पीछे उनका क्या स्वार्थ था। उन्होंने सवाल को टालने की कोशिश की और चुपचाप मुस्कुरा दिए। लेकिन सहकर्मियों ने उन पर जवाब देने का दबाव डाला। तब लिंकन ने कहा कि जब मैं 14 घंटों तक काम करता रहूंगा, तब सूअर के इस बच्चे का ख्याल मेरे दिमाग में आएगा और मुझे उसके घायल होने की चिंता सताएगी। इस कारण मेरा काम बाधित होगा। इसी से बचने के लिए मैंने इस बच्चे को बचाया।'
चव्हाण ने आगे कहा, 'इसलिए हम सभी को एक चीज के बारे में सोचना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16-18 घंटों तक काम कर रहे हैं। देवेंद्र फडणवीस भी इतने ही घंटों तक काम कर रहे हैं। वे महाराष्ट्र में 100 फीसदी बीजेपी के सपने को लेकर भी चिंतित हैं। इस वक्त हमें इस सपने की दिशा में काम करने की जरूरत है। इस वक्त जब उनके सामने कई तरह की चुनौतियां हैं, चाहे वह किसानों का मामला हो या दबे-कुचले दलितों का, वे इन दलितों को सूअर के बच्चे की तरह समझते हैं और वे उनको बचाने का काम कर रहे हैं।'
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