ठग बोला: सर, 1 लाख कमाते हैं, 10 हजार पुलिस को दे देते हैं

भोपाल। देश भर में ठगी की वारदातें लगातार बढ़ती जा रहीं हैं। कहीं प्रॉडक्ट के नाम पर तो कहीं सेवाओं के नाम पर। फर्जी कॉल भी खूब आते हैं। हर रोज कोई ना कोई शिकार हो ही जाता है। फिर वो बैंक जाता है, पुलिस के पास जाता है, पुलिस लिखित शिकायत भी लेती है। फिर कुछ नहीं होता। सवाल यह है कि क्यों नहीं होता। इसका जवाब एक ठग ने ही बताया। बोला पुलिस हमसे संपर्क करती है, 1 लाख की ठगी में 10 हजार पुलिस का। फिर पुलिस खुद हेंडल कर लेती है मामले को। 

उपभोक्ता- हेलो कौन बोल रहे हैं? 
ठग- सर नमस्कार मैं बैंक से बात कर रहा हूं। 
उपभोक्ता- कौन सी बैंक से बात कर रहे हैं आप ? 
ठग- सर एसबीआई बैंक से। 
उपभोक्ता- हां बोलिए। 
ठग- आप एसबीआई बैंक का एटीएम कार्ड चला रहे हैं। 
उपभोक्ता- क्यों बेवकूफ बनाते हो लोगों को, रख दो यार फोन। 
ठग-सर लोगों को बेवकूफ बनाने का काम ही है हमारा। 
उपभोक्ता- ठीक है लगे रहो, जब पकड़े जाओगे, तब देखो क्या होता है। इतनी सुबह तो बैंक भी नहीं खुलते। 
ठग- कोई दिक्कत नहीं सर बैंक खुले न खुलें, हमें इससे कोई मतलब नहीं, हम डायरेक्ट ही बैंक से हैक कर देते हैं। 
उपभोक्ता- पुलिस टेक्नोलॉजी से लैस हो गई है, फिर कैसे बच जाते हो? 
ठग- क्या करें सर पुलिस भी पैसा लेती है। हम एक लाख कमाते हैं तो 10 हजार रुपए देकर छूट जाते हैं। 
उपभोक्ता- अगर आपने मेरे साथ ठगी कर दी ताे मैं थाने में शिकायत करूंगा? 
ठग- आप पुलिस को हमारा मोबाइल नंबर देंगे, तो उन्हें मेरे नंबर से कुछ भी हासिल नहीं होगा। क्योंकि मेरे पास कोई भी उपकरण ओरिजनल नहीं है। 
उपभोक्ता- हां यह बात भी है। 
ठग- पुलिस कैसे और कहां पकड़ पाएगी। हम हर चीज फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से हासिल करते हैं। 
उपभोक्ता- अभी आपकी जो लोकेशन है, पुलिस को दो मिनट में पता चल जाएगा कि आप कौन से मोबाइल टाॅवर से बात कर रहे हैं। 
ठग- पुलिस नहीं पकड़ पाएगी। हम जिस एरिया में काम करते हैं, वहां की लोकेशन पर ऐसा सिस्टम लगा देते हैं कि हमारी लोकेशन अन्य शहर में दिखेगी। 
उपभोक्ता- सही बात है। 
ठग- सर, मगर अब से जो भी काल आए तो उससे आप बचके रहिएगा। आपसे बैंक एटीएम पिनकोड अकाउंट नंबर कोई पूछते है, तो बिल्कुल न बताएं। 
उपभोक्ता- मैं खुद इंटरनेट बैंकिंग इस्तेमाल करता हूं। 16 डिजिट के नंबर के पीछे के तीन अंक बताने के बाद भी पैसा निकल जाएगा? 
ठग- सर जैसे ही आप लोग पिन कोड अकाउंट नंबर देते हैं, एकदम से एक बार में पैसे निकल जाएंगेे। तीन अंक का सीरीज नंबर देते हैं तो उससे भी पैसे उड़ा देते हैं। 
उपभोक्ता- जो सीजी नंबर पीछे होता है, वह 16 डिजिट का नंबर नहीं लगता? 
ठग- नहीं-नहीं, तीन नंबर का सीजी नंबर देने पर भी आपके अकाउंट में 50 हजार रुपए हैं, तो एक बार में उड़ जाएगा। आप बैंक भी जाएंगे तो बैंक वाले भी नहीं बता पाएंगे कि आपका पैसा कहां गया। 
उपभोक्ता- अच्छा ऐसी टेक्नोलॉजी है आपके पास। 
ठग- क्योंकि सर, 50 हजार रुपए के पच्चीस भाग कर देते हैं। फिर हम लोग साॅफ्टवेयर से अलग-अलग जगह भेज देते हैं। हमारेे पास वह पैसा किसी मोबाइल में रिचार्ज में बनकर आता है। फिर मनी साॅफ्टवेयर में डालते हैं। 

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!
$("#merobloggingtips-before-ad .widget").each(function () { var e = $(this); e.length && e.appendTo($("#before-ad")) }), $("#merobloggingtips-after-ad .widget").each(function () { var e = $(this); e.length && e.appendTo($("#after-ad")) });