पहले 10k की JOB नहीं मिल रही थी, अब 2.5M महीना है INCOME | Inspirational story

लखनऊ। यह एक ऐसे मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी की कहानी है जिसे अपने पैरों पर खड़े होने के लिए भी अपने ही पैरों पर खड़ा होना पड़ा। जी हां, इंटीरियर की पढ़ाई के लिए नौकरी करनी पड़ी। वो मात्र 10 हजार रुपए महीने की नौकरी चाहती थी ताकि पढ़ाई आराम से हो जाए, लेकिन नहीं मिली। 6000 रुपए मिले, उसी से पढ़ाई की और आज 25 लाख रुपए महीने कमाती है। दर्जनों महिलाएं उसके साथ काम करतीं हैं। 

लखनऊ की गरिमा मिश्रा बताती हैं, मैं एक मिडिल क्‍लास फैमिली से हूं। परिवार में इनकम के साधन सीमित थे। पैरेंट्स चाहते थे कि ग्रेजुएशन करने के बाद मैं शादी करके घर बसा लूं। हालांकि, पैरेंट्स ने जब मुझसे शादी के लिए कहा, तो मैंने मना कर दिया। मैं खुद को साबित करना चाहती थी। शुरू से मुझे इंटीरियर डिजाइनर बनने का शौक था लेकिन घर वाले तैयार नहीं थे। लेकिन मैंने फैसला कर लिया था कि कुछ अलग करना है।

सहारा ने दी 6 हजार की नौकरी
मैंने 2007 में सहारा में 6 हजार की नौकरी की। मुझे जो सैलरी मिलती थी, उससे मैंने इंटीरियर डिजाइन का कोर्स करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं जब भी समय मिलता, तो मार्केटिंग स्टडीज का काम भी करती। रात में अपने प्रोजेक्ट तैयार करती थी और दिन में नौकरी। इसके बाद 2010 में मैंने नौकरी छोड़ दी और एक आर्किटेक्ट के साथ काम शुरू किया। वहां पर मैंने कुछ लोगों से कान्‍टेक्‍ट बनाए। धीरे-धीरे मैंने पैसे इक्‍ट्ठा किए और अपना काम शुरू करने की प्लानिंग बनाई। खुद का एक ऑफिस लिया। जहां भी कंस्‍ट्रक्‍शन का काम चलता था, मैं वहां पहुंच जाती थी और काम ढूंढ़ने लगती थी। कई बार 10 मीटिंग होती थी, लेकिन इसके बाद भी काम नहीं मिलता था। कहीं आने-जाने के लिए गाड़ी नहीं थी। इसलिए रेंट पर गाड़ी लेकर काम चलाया। 

2012 में पहली साइट का काम मिला, इसके बाद एक साइट मिली, जिससे मैंने पहली बार 10 हजार रुपए कमाए। इस साइट पर मेरे काम की काफी तारीफ हुई। गरिमा ने बताया, लखनऊ में इंटीरियर डिजाइनिंग करने वाली महिलाएं थीं, लेकिन उसको एग्‍जीक्‍यूट करने वालों की कमी थी।  इसलिए मैंने टीम बनाना शुरू किया। धीरे-धीरे मैंने कई महिलाओं को इससे जोड़ा। पहले में साइट विजिट का पैसा नहीं लेती थी, लेकिन अब विजिट फीस 1000 रुपए है। मैंने अब होंडा कार खरीद लिया है। 25 लाख रुपए महीना कमा कमा लेती हूं। कभी-कभी इससे ज्यादा भी हो जाता है। अब तक बहुत प्रोजेक्ट कर चुकी हूं, जिसमें सरकारी और प्राइवेट प्रोजेक्‍ट भी शामिल हैं। 

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