सरकार का विरोध करने वाले 15000 शिक्षा कर्मचारी सस्पेंड

नईदिल्ली। सरकार के खिलाफ विद्रोह करने वाले 15000 शिक्षा कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। 1500 से ज्यादा विश्वविद्यालयों के डीन से इस्तीफे मांगे गए हैं। सेना और पुलिस के सैंकड़ों बड़े अफसरों को गिरफ्तार कर लिया गया है। हजारों कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है। यह सबकुछ हो रहा है तुर्की में, जहां पिछले दिनों तख्तापलट की कोशिश की गई। 

तुर्की के शिक्षा विभाग ने उन पर फतहुल्लाह गुलेन से संबंध होने का आरोप लगाया है। तुर्की सरकार ने इस विद्रोह में अमरीका में रहने वाले मौलवी गुलेन का हाथ बताया था। हालांकि फ़तहुल्लाह गुलेन ने इस तख़्तापलट में किसी भी भूमिका से इनकार किया है। सरकारी मीडिया की ख़बर के अनुसार, तुर्की के उच्च शिक्षा विभाग ने 1,500 विश्वविद्यालय डीन के इस्तीफ़े के भी आदेश दे दिए हैं। 

तुर्की में राष्ट्रपति रेचप तैयब अर्दोआन ने विद्रोह करने वाले ‘वायरसों’ को सरकारी प्रतिष्ठानों से निकालने की कसम खाई है। ये कार्रवाई तुर्की के प्रधानमंत्री बिनाली यिल्दिरिम के उस बयान के बाद हुई है जिसमें गुलेन के समर्थकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की बात कही गई थी। समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक़, यिल्दिरिम ने कहा, "मुझे माफ करें, लेकिन यह आतंकी संगठन किसी भी देश में अब असरदार मोहरे नहीं रहेंगे।"

उन्होंने कहा, "हम उन्हें खोज निकालेंगे ताकि कोई भी गोपनीय आतंकी संगठन दोबारा हमारी जनता को संकट में नहीं डाल पाएंगे।" बीते शुक्रवार को हुए तख्तापलट की नाकाम कोशिश के बाद हज़ारों, सिपाही, पुलिस और अधिकारी गिरफ़्तार किए गए हैं या उन्हें बर्खास्त किया गया है। पूर्व वायु सेना प्रमुख जनरल एकिन ओज़तुर्क समेत दर्जन भर से ज़्यादा जनरलों को हिरासत में ले लिया गया है। हालांकि जनरल ओज़तुर्क ने इसमें किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने तुर्की से अपील की है कि वो तख्तापलट के ख़िलाफ़ कार्रवाई में क़ानून और मानवाधिकार का ख्याल रखे। प्रधानमंत्री कार्यालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार रात को हुए नाक़ाम तख्तापलट की कोशिश में 232 लोगों की मौत हो गई जबकि 1,541 लोग घायल हुए।

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