जबलपुर। 6 तस्करों से 1 क्विंटल गांजा पकड़ने के मामले में टीकमगढ़ पुलिस खुद जांच की जद में आ गई है। पुलिस ने आरोपियों के पास है 1 क्विंटल 7 किलो और 100 ग्राम गांजा जब्त किए जाने की एफआईआर दर्ज की है परंतु इस गांजे का कोर्ट में भौतिक सत्यापन नहीं कराया। हाईकोर्ट ने सवाल पूछा है कि यह गांजा कहां गया। जमीन खा गई या आसमान निगल गया। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि यह गांजा पुलिस खा गई या पुलिस ने फर्जी केस दर्ज किया था।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आरोपियों को 10 साल के कठोर कारावास और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाए जाने के कदम पर आश्चर्य जताया। इसी के साथ आरोपी की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने तल्ख लहजे में सवाल दागा कि इस मामले में गांजे की जितनी मात्रा बरामद होने के आधार पर पुलिस ने केस दर्ज किया और फिर एनडीपीएस कोर्ट ने सजा सुनाई, वह गांजा आखिर गया कहां, उसे जमीन निगल गई या आसमान खा गया? यह कार्रवाई तत्कालीन निवाड़ी जिला टीकमगढ़ थाना प्रभारी प्रियंका पाठक ने की थी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान आपीलार्थी/आवेदक ग्राम हनुपुरा, पुलिस थाना मोहनगढ़, जिला टीकमगढ़ निवासी फूल सिंह परमार की ओर से अधिवक्ता अक्षय नामदेव ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि यह मामला पुलिस की दुर्भावनापूर्ण व बेगुनाहों को फंसाने वाली अनुचित कार्यप्रणाली का ज्वलंत नमूना है।
6 लोगों से जब्त किया था एक-एक क्विंटल गांजा
पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में अपीलकर्ता-आवेदक सहित 6 आरोपी बनाए थे। सभी के कब्जे से एक-एक क्विंटल से अधिक गांजा बरामद होने का मेमोरेंडम तैयार किया गया लेकिन हैरत की बात तो यह है कि इतनी अधिक मात्रा का गांजा भौतिक रूप से कहीं भी प्रस्तुत नहीं किया गया। 1 क्विंटल की मात्रा में गांजा जब्त होने की सिर्फ कागजी बात ही की गई और इसी आधार पर मामला अदालत तक पहुंच गया। अदालत में भी अभियोजन ने कागजी व मौखिक दलीलों के आधार पर आरोपियों को सजा सुनाए जाने पर बल दिया। अदालत ने तमाम तर्कों को सुनने के बाद ट्रायल पूरी करके सजा सुना दी।