बालाघाट। अवैध रेत उत्खनन से कमजोर हुआ ढोरया नाले पर बना पुल पहली ही बारिश में ढह गया। यह 25 साल पहले बनाया गया था। इस पुल के ढहने से कुछ देर पहले ही यहां से एक यात्री बस गुजरी थी। इस हादसे के बाद 2 इलाकों से संपर्क टूट गया। कहा जा रहा है कि यदि रेत माफिया सक्रिय ना होता तो पुल कम से कम 25 साल और चलता।
इस घटना के बाद पठारवासियों में आक्रोश देखा जा रहा है। उनका कहना है कि पूर्व में ही शासन और प्रशासन को इस बारे में आगाह कराया गया था लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। जिससे आज यह परिणाम देखने को मिल रहा है। जिससे क्षेत्रीय लोग शासन और प्रशासन से खासे खफा है। वहीं घटना के बाद एसडीएम, तहसीलदार और स्थानीय पुलिस प्रशासन स्थिति पर नजर रखे हुए है।
पठारवासी पुल बहने के लिए लगातार यहां से निकाली जा रही तेज को इसका कारण बता रहे है उनका कहना है कि अत्यधिक रेत खनन से पुलिया का जुड़ाव खत्म हो गया और पहली ही बारिश के तेज पानी में वह बह गया। पठार क्षेत्र के ग्राम आंजनबिहरी और बम्हनी को जोड़ता यह पुल 25 वर्ष पूर्व बना था।
बताया जाता है कि इस पुलिया के ढहने के कुछ देर पहले ही एक निजी यात्री बस यहां से निकली थी। जबकि दूसरी बालाघाट से गोरेघाट जाने वाली बस गुजरने वाली थी। इससे पूर्व ही यह हादसा हो गया अन्यथा कोई बड़ी जनहानि हो सकती थी। क्षेत्रीय लोगों की मानें तो यदि इस पुल के ढहने की घटना से शासन, प्रशासन ने सबक नहीं लिया तो इसी क्षेत्र में हरदोली-बोनकट्टा को जोड़ता पुल भी कभी भी बह सकता है। जिसके भी बहने की आशंका बनी हुई है।
Balaghat| katangi | tirodi