अब तक 2 दर्जन पुलिसकर्मी हो चुके हैं IG की प्रताड़ना के शिकार | IPS Pawan Dev

बिलासपुर। महिला आरक्षक से अश्लील बात करने व आधी रात को घर बुलाने के आरोपों से घिरे विवादित आईजी पवन देव की प्रताड़ना के शिकार दो दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी हुए हैं। जिन्हें विभागीय जांच को आधार बनाकर सजा दी गई है। उनके दो साल के कार्यकाल में पुलिसकर्मियों पर यह कार्रवाई की गई है। मालूम हो कि बीते सोमवार की रात पदावनत हवलदार ने उनकी कार्रवाई से परेशान होकर नशीली दवा खा ली थी।

आईजी देव बीते दिनों उस समय मीडिया में सुर्खी बने, जब मुंगेली जिले की महिला आरक्षक ने उनके खिलाफ सनसनीखेज आरोप लगाए। महिला आरक्षक ने आधी रात को मोबाइल में अश्लील बातें करने व घर बुलाने सहित अन्य गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके साथ ही आईजी पर मातहत पुलिसकर्मियों को परेशान व प्रताड़ित करने का भी आरोप लगने लगा है।

बीते दो साल के कार्यकाल में आईजी पवन देव ने विभागीय जांच के बहाने पुलिसकर्मियों को परेशान किया है। यही नहीं इन पुलिसकर्मियों को सजा भी दी गई है। विभागीय जांच में पुलिसकर्मियों को दोषी पाकर किसी को हवलदार से आरक्षक बनाया गया, तो किसी को एसआई से एएसआई व हवलदार बना दिया गया।

दो दर्जन से अधिक टीआई, एसआई, एएसआई व हवलदार ऐसे हैं, जिन्हें किसी न किसी मामले में विभागीय जांच से गुजरना पड़ा है। इन पुलिसकर्मियों को जांच में दोषी बताकर किसी न किसी रूप में सजा देकर परेशान किया गया है। पुलिस के उच्च पद पर होने के कारण पुलिसकर्मी उनकी इस कार्रवाई का शिकायत करने से भी डरते हैं। यही वजह है कि चाहकर भी पुलिसकर्मी उनकी शिकायत नहीं कर पाते।

एक टीआई ने ली हाईकोर्ट की शरण
शहर के एक थानेदार को उन्होंने परेशान कर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की। इसके चलते उनकी पदोन्नति प्रभावित हो रही थी। लिहाजा, थानेदार को न्याय के लिए हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। हाईकोर्ट से विभागीय जांच के तहत जारी आरोप पत्र व उनके खिलाफ कार्रवाई पर स्थगन आदेश दिया गया है।

आईजी ने दी सजा डीजी ने किया बहाल
हिर्री के तत्कालीन सब इंस्पेक्टर लल्लन सिंह को आईजी ने एफआईआर फाड़ने पर बतौर सजा हवलदार बना दिया था। इस आदेश के खिलाफ लल्लन सिंह ने पुलिस महानिदेशक के समक्ष अपील की।

मेरे फैसले के खिलाफ कर सकते हैं अपील: आईजी 
हिर्री थाने में एफआईआर की प्रति फाड़ने पर आरोप प्रमाणित हुआ है। जांजगीर-चांपा के जैजैपुर में हत्या के संदेही की पिटाई करने के मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर अपराध दर्ज कर कार्रवाई की गई है। टीआई आशीष अरोरा को शासन के आदेश पर आरोप पत्र जारी किया गया है। इस तरह से कार्यालय से जितनी भी कार्रवाई की गई है, उसमें विभागीय जांच में आरोप प्रमाणित होना पाया गया है। एक भी सजा दुर्भावना या प्रताड़ना की नियत से नहीं दी गई है। रेंज कार्यालय द्वारा जारी दंड के विरुद्ध अपील करने का प्रावधान भी है, जो पुलिसकर्मी कार्रवाई से असंतुष्ट है उनके लिए पुलिस महानिदेशक कार्यालय में अपील करने का प्रावधान है। प्रताड़ित समझने वाले पुलिसकर्मी नियमानुसार अपील भी कर सकते हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!
$("#merobloggingtips-before-ad .widget").each(function () { var e = $(this); e.length && e.appendTo($("#before-ad")) }), $("#merobloggingtips-after-ad .widget").each(function () { var e = $(this); e.length && e.appendTo($("#after-ad")) });