भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों से सब्सिडी छोड़ने की अपील कर करके 100-100 रुपए जुटाते दिखते हैं परंतु उन्हीं की सरकार गौतम अडानी की कंपनी अडानी पोर्टस एंड एसईजेड लिमिटेड पर न्यायालय द्वारा लगाए गए 200 करोड़ के हर्जाने को माफ कर रही है। इस मामले ने मोदी को दोहरे चरित्र का आरोपी बना दिया है।
अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड की शनिवार की खबर के मुताबिक मंत्रालय ने अडानी के वाटरफ्रंट प्रोजेक्ट को दिए ग्रीन क्लियरेंस का भी बढ़ा दिया है। साल 2013 में अदालत द्वारा नियुक्त एक समिति ने अडानी की कंपनी पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए पूरे प्रोजेक्ट की लागत का 1% (200 करोड़ रुपये) हर्जाना तय किया था। उसके बाद तत्कालीन कांग्रेस गठबंधन सरकार ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस भेजा। कंपनी के जवाब से असंतुष्ट होने के कारण तत्कालीन सरकार ने हर्जाने को बरकरार रखा।
कंपनी पर लगाया गया हर्जाना जनवरी से मार्च 2016 के बीच कंपनी द्वारा कमाए गए मुनाफे 566 करोड़ रुपये से काफी कम है। ऐसे में बीजेपी गठबंधन सरकार द्वारा हर्जाने की राशि माफ करना उसके दोहरे रवैये को उजागर करता है।
मंत्री महोदय का दोहरा रवैया
करीब एक महीने पहले पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा था कि सरकार पर्यावरण कानून का उल्लंघन करने वालों से कड़ाई से निपटेगी। सरकार ने दोषियों पर लगाए जाने वाले जुर्माने की रकम बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये करने और जेल की सजा का भी प्रावधान कर दिया। जावड़ेकर ने नए बदलावों को बड़ा कदम बताते हुए पुराने कानून को कमजोर बताया था।
उस समय जावड़ेकर ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा था, "असली समस्या कानून पर अमल की है। हमारे देश में कई कानून और सैकड़ों नियम हैं लेकिन उनपर बहुत कम अमल होता है। हमें कानून को अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया को आसान बनाना होगा और उसका उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी। हमने नए कानून का मसौदा तैयार किया है जिससे उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भारी जुर्माना लगाया जा सकेगा।"
मोदी से मित्रता
अडानी पोर्ट्स के मालिक गौतम अडानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। ऐसे में संभव है कि 200 करोड़ रुपये के हर्जाने को माफ करने का फैसला ऊपरी स्तर पर हुआ हो।पीएम मोदी ने चुनाव से पहले आम जनता से 'अच्छे दिन' आने का वादा किया था लेकिन लगता है कि अभी 'अच्छे दिन' केवल अमीर कारोबारियों के लिए आए हैं.