नईदिल्ली। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने संसद हमले के बाद पाकिस्तान पर हमला करने की पूरी तैयारी कर ली थी। यह युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक हुए तमाम युद्धों से कहीं ज्यादा भयंकर होता क्योंकि इसके पहले ही चरण में परमाणु हथियारों के उपयोग की तैयारी कर ली गई थी। अंतिम समय पर अमेरिका और ब्रिटेन ने कुछ इस तरह से बहलाया कि भारत ने आक्रमण स्थगित कर दिया और फिर धीरे धीरे इस युद्ध को टाल दिया गया।
यह जानकारी उन दस्तावेजों से मिली है जो हाल में यूके की तरफ से रिलीज किए गए हैं। ये सारे दस्तावेज 2003 में हुए ईराक युद्ध के हैं। दस्तावेजों के मुताबिक, भारत पाकिस्तान के बीच 2001 में परमाणु युद्ध होने वाला था। यह युद्ध संसद पर हुए हमले की प्रतिक्रिया थी। यह हमला लश्कर ए तैयबा (LeT) और जैश ए मौहम्मद (JeM) ने करवाया था। इसमें 9 लोगों की मौत हो गई थी।
इन दस्तावेजों में बताया गया है कि 9/11 (2001 में अमेरिका पर हमला) के बाद ब्रिटेन के लिए विदेश नीति की प्राथमिकता अफगानिस्तान था। साल के समाप्त होते होते 13 दिसंबर, 2001 को भारतीय संसद पर आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव की आशंका ने ब्रिटेन सरकार और अमेरिका के लिए चिंता पैदा कर दी। इससे दोनों देशों को समझ नहीं आया कि अपना ध्यान किस तरफ केंद्रित करें।
स्ट्रा ने बताया, ’13 दिसंबर 2001 में इस्लामिक आतंकियों ने दिल्ली में लोक सभा पर हमला कर दिया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध जैसे हालात बन गए थे क्योंकि हमारा सारा ध्यान अफगानिस्तान की तरफ था इस वजह से हमने भारत पाकिस्तान को बहला-फुसलाकर युद्ध ना करने के लिए मना लिया।
याद दिला दें कि पाकिस्तान पर हमला ना करने के कारण भारतीय जनता अटल सरकार को कमजोर माना और तमाम विकास कार्य करने के बावजूद अगले चुनाव में अटल सरकार को जनता ने अपदस्थ कर दिया।