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प्रदेश में 7.50 लाख से अधिक स्थायी सरकारी अधिकारी व कर्मचारी हैं। इनमें से 25 हजार के प्रमोशन होना है। प्रमोशन के बाद रिक्त होने वाले सीधी भर्ती के पदों सहित 40 हजार से अधिक पदों पर नई भर्ती होनी है। ताजा विवाद के कारण फिलहाल प्रदेश के 400 से अधिक थानों में टीआई नहीं हैं। 3000 से अधिक स्कूलों में हैडमास्टर व प्राचार्य नहीं हैं। कई मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर नहीं हैं और एमसीआई ने उनकी मान्यता खत्म करने की चेतावनी दी है।
यही हाल जल संसाधन, उच्च शिक्षा सहित सभी महकमों का है। इनमें प्रमोशन के लिए डीपीसी होना है, लेकिन हो कैसे? ये किसी भी विभाग प्रमुख की समझ में नहीं आ रहा है। अप्रैल में हाईकोर्ट ने प्रमोशन में रिजर्वेशन खत्म कर दिया। यदि इस आदेश का पालन किया जाता है, तो डीपीसी सीनियरिटी लिस्ट के हिसाब से होगी, लेकिन सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चली गई है। ऐसे में जब तक वहां से अंतिम निर्णय नहीं हो जाता है, तब तक सभी प्रमोशन होल्ड रखे जाने के जीएडी को मौखिक आदेश हैं।
सुप्रीम कोर्ट पहले ही ठहरा चुकी है असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में उत्तर प्रदेश के एम नागराज मामले और 2012 में यूपी पावर कॉर्पोरेशन के एक मामले की सुनवाई के दौरान प्रमोशन में आरक्षण को असंवैधानिक ठहराया था। नागराज ने पिटीशन में कहा था कि किसी पोस्ट में प्रमोशन में रिजर्वेशन तब तक नहीं दिया जा सकता, जब तक उसका कैडर डाटा नहीं हो। प्रमोशन के लिए जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल नहीं हो सकता। बावजूद इसके सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले को लंबे समय तक लटका रही है।
ये प्रमोशन रुके हैं
असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर
एसोसिएट प्रोफेसर से प्रोफेसर
एसआई से टीआई व टीआई से डीएसपी
डीएसपी से एएसपी
उपयंत्री से सहायक यंत्री
कार्यपालन यंत्री से अधीक्षण यंत्री
नायब तहसीलदार से तहसीलदार
नोट: इस तरह के 25 हजार प्रमोशन लंबित हैं।
मेडिकल कॉलेजों की मान्यता खतरे में
चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रोफेसरों के प्रमोशन न होने के कारण प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों की मान्यता खतरे में पड़ गई है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया हर साल कॉलेजों का निरीक्षण कर यूजी व पीजी मान्यता देती है। प्रमोशन न हो पाने के कारण प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों के 25, एसोसिएट प्रोफेसरों के 35 पद रिक्त पड़े हैं।
थानों में इंस्पेक्टर ही नहीं
गृह विभाग में भी प्रमोशन न होने के कारण प्रदेश के कई थाने इंस्पेक्टर विहीन हैं। प्रदेश के 400 थाने अभी प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं। हाल यह है कि प्रमोशन न हो पाने के कारण सब इंस्पेक्टर, टीआई, डीएसपी के सैकडों पद खाली पड़े हैं। प्रमोशन न होने तथा नए थाने खुलने के कारण यह दिक्कत बढ़ती जा रही है।