भोपाल। मप्र में पिछले 10 सालों से योजनाबद्ध तरीके से स्वास्थ्य सेवाओं को कुछ इस तरह से बद्तर किया जा रहा है कि मरीजों को ना चाहते हुए भी प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़े। तमाम सरकारी अस्पतालों के अलावा बीमा अस्पताल के हालात भी ऐसे ही हैं। मोटा बजट होने के बावजूद यहां ना तो सुविधाएं हैं और ना ही कर्मचारी। डेढ़ लाख कर्मचारियों के इलाज के लिए मात्र 4 डॉक्टर तैनात हैं। अस्पताल में मशीनें नहीं हैं, कुछ हैं तो उन्हें चलाने वाले नहीं हैं। नर्सें नहीं हैं यहां तक कि सफाईकर्मी भी नहीं हैं। सबकुछ योजनाबद्ध है, प्राइवेट अस्पतालों को फायदा पहुंचाने के लिए।
भोपाल के बीमा अस्पताल में भोपाल व मंडीदीप के बीमित कर्मचारी शामिल हैं। स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी की वजह से मरीजों को इलाज के लिए दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया जा रहा है। यहां रोजाना करीब 350 मरीजों की ओपीडी है। इसके बावजूद डॉक्टरों की कमी है। अस्पताल में गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) की सुविधा ही नहीं है। सोनोग्राफी व एक्सरे मशीन में खराबी की शिकायत भी रही है।
मरीजों को लाइन में लगकर डॉक्टरों का इंतजार करना पड़ता है। इसलिए बीमा अस्पताल में कम पहुंचते हैं। अस्पताल में गंदगी को लेकर भी परेशानी रही है। इसकी वजह सफाई कर्मचारियों का पर्याप्त स्टाफ न होना है। इसी तरह सुरक्षा गार्ड की कमी है। यहां सोनाग्राफी की मशीन मौजूद है, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट न होने से सोनोग्राफी नहीं होती।
बीमा अस्पताल में यह खामियां लंबे वक्त से हैं। यहां मरीजों के लिए 100 बिस्तर मौजूद है, लेकिन देखरेख के लिए नर्सें नहीं है। ऐसे में गंभीर बीमारी के मरीज यहां आते ही नहीं हैं और किसी को ज्यादा दिनों तक भर्ती भी नहीं रखा जा सकता। इन सब अव्यवस्थाओं के चलते अस्पताल का स्तर भी गिरता जा रहा है।
शहर में अस्पताल के अंतर्गत तीन डिस्पेंरिया सुभाष नगर, इतवारा व सोनागिरी में मौजूद है। लेकिन यहां भी सुविधाएं और स्टाफ नहीं है। इससे बीमित कर्मचारियों को फायदा नहीं मिल रहा है।