
मंदिर के नाम पर दर्ज 42 बीघा जमीन पर भी लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। वहीं जिस स्थान पर कभी मंदिर हुआ करता था वहां पर अब मकान एवं दुकान बना ली गई है। यह भी तब हुआ है जबकी राजस्व रिकॉर्ड में डीएम को ही इस मंदिर का प्रशासक बताया गया है।
एक स्थानीय बुजुर्ग के मुताबिक 1970 के दशक तक शुक्रवारिया बाजार के हनुमान छत्री चौक क्षेत्र में महालक्ष्मी का मंदिर था और उस मंदिर में उन्होंने कई बार पूजा भी की है। मंदिर में कई बार सामाजिक संगठनों की बैठकें भी हुआ करती थी लेकिन पिछले 45 वर्षों से मंदिर का पता नहीं है। हालांकि प्रशासन के रिकॉर्ड में मंदिर दर्ज है और मंदिर के नाम पर मैना गांव में 42 बीघा जमीन भी दर्ज है।
इस बाबत पिछले कई सालों से शिकायत कर रहे क्षेत्र के सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार को ज्ञापन भी दिया था जिसमें अतिक्रमण हटाने और जल्द से जल्द शासकीय मंदिर स्थापित कर प्रतिमाएं वापस लाने की मांग की है।
अप्रैल 2013 में सामाजिक संगठनों द्वारा मामला उठाने के बाद प्रशासन ने मामले की जांच तहसीलदार को सौंपी किन्तु तीन साल बाद भी यह पता नहीं चल पाया कि मंदिर की प्रतिमा आखिरकार गई कहां। मंदिर की भूमि पर भी अतिक्रमण करने वालों को अभी तक सिर्फ नोटिस ही दिये गये हैं। इस मामले में तहसीलदार कार्यालय में जांच लंबित है।