गुप्त नवरात्र 5 जुलाई से, तैयारियां कर लें | gupt navratri 2016

Bhopal Samachar
आषाढ़ मास का नवरात्र आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा मंगलवार 5 जुलाई से शुरू होगा। इसे ग्रीष्म नवरात्र और गुप्त नवरात्र के रूप में भी जाना जाता है। आषाढ़ मास में दुर्गापूजन, शक्तिपूजन की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। मां कामख्या की अर्चना इस नवरात्र में विशेष तौर पर की जाती है।

ऋतु परिवर्तन पर देवी आराधना की परंपरा
ज्योतिषाचार्य डा.राजनाथ झा के अनुसार भारतीय आदर्श परंपरा में ऋतु परिवर्तन होने पर मां दुर्गा की आराधना की जाती है। ऋतुओं के बदलने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होती हैं। इस मौसम में निरोग रहने को नियम और संयमपूर्वक रहकर मां शक्ति की पूजा की जाती है।

कलशस्थापना पर बन रहा शुभ संयोग
आचार्य प्रियेन्दु प्रियदर्शी के अनुसार मंगलवार को पुनर्वसु नक्षत्र में कलश स्थापना और बृहस्पतिवार को विजयादशमी अति शुभ फलदायी होगी। चार दिन पहले ही मंगल ग्रह वक्री से अपनी राशि वृश्चिक में मार्गी हुआ है। वहीं बृहस्पतिवार को दशमी तिथि होने से सिद्धियोग बन रहा है।

दुर्लभ शक्तियों के लिए तंत्र साधना
ज्योतिषी इंजीनियर प्रशांत कुमार के अनुसार गुप्त नवरात्र में दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति के लिए दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। इस दौरान तांत्रिक क्रियाएं , शक्ति साधना और महाकाल की पूजा होती है। इस पूजा में साधक कड़े नियमों का पालन करते हैं।

शनि,राहू और केतु से पीड़ितों की मिलता लाभ
आचार्य विपेन्द्र झा माधव के अनुसार इस नवरात्र में मां की आराधना, हवन आदि से शनि, राहू और केतु से पीड़ित व्यक्तियों को लाभ मिलता है। ये तीनों ग्रह तंत्र कारक माने जाते हैं। इसलिए इन ग्रहों से छुटकारा पाने के लिए तंत्र साधना की जाती है।

गुप्त नवरात्र में इनकी होती है पूजा
मां काली, तारा,भुवनेश्वरी, त्रिपुरसुंदरी, छिनमस्तिका, त्रिपुर भैरवी, धूमावति, बगलामुखी, मातंगी, मां कमला देवी ।

कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त:-5 जुलाई
समय: सुबह 7.30 बजे से पहले
सुबह 9 बजे के बाद
कलश स्थापना की सामग्री:-
कलश, मिट्टी, पंचरत्न, लाल कपड़ा, नारियल आदि
ग्रीष्म नवरात्र
महासप्तमी, निशा पूजा : 11 जुलाई
महाष्टमी : 12 जुलाई, 
महानवमी: 13 जुलाई ,
विजयादशमी: 14 जुलाई

वर्ष में होते हैं चार नवरात्र:-
शारदीय नवरात्र: आश्विन मास(अक्टूबर)
माघी नवरात्र : माघ मास(जनवरी-फरवरी)
वासंतिक : चैत्र नवरात्र(अप्रैल)
ग्रीष्म-गुप्त नवरात्र: आषाढ़ मास(जुलाई)

नवरात्र में करें पाठ
-दुर्गा सप्तशती, इष्ट देवी के बीजमंत्र, दुर्गा कवच, दुर्गा शतनाम पाठ
-दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ नहीं करें तो अध्याय 4, 5 और 11 का पाठ ।

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