देहरादून। भारत की देवभूमि उत्तराखंड पिछले कुछ सालों से प्राकृतिक प्रकोप का शिकार हो रही है। इस बार उत्तराखंड में एक साथ 6 जगह बादल फटे। जमीनें धंस गईं। भूस्खलन में सैंकड़ों मकान तबाह हो गए। सड़कें गायब हो गईं। अलकनंदा, सरयू और मंदाकिनी समेत राज्य की 12 में से 10 नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं। ऋषिकेश-बद्रीनाथ नेशनल हाईवे पर नंदप्रयाग व बद्रीनाथ के बीच कई स्थानों पर चट्टानें आ गिरीं, जिससे हाईवे बंद हो गया।
केदारनाथ हाईवे पर गंगोल गांव के पास भी रास्ता बंद हो गया है। बद्रीनाथ जा रहे 70 श्रद्धालु चमोली में फंस गए। बचाव दलों ने उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। ग्रामीणों ने बताया कि 100 साल के इतिहास में पहली बार एक साथ छह जगह बादल फटे हैं। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री हरीश रावत से फोन पर बात कर केंद्र से मदद की पेशकश की।
मौसम विभाग की चेतावनी और बारिश के बाद उपजे हालात के मद्देनजर बद्रीनाथ जाने वाले यात्रियों को गौचर, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, चमोली पीपलकोटी और जोशीमठ में रोक दिया है।पिथौरागढ़ की डीडीहाट तहसील के बस्तड़ी गांव में सर्वाधिक नुकसान हुआ है, वहीं चमोली जिले के घट, नंदप्रयाग और दशोली विकासखंड के गांवों में तबाही हुई है। दोनों जिलों के प्रभावित क्षेत्रों में 60 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हो गए।