भोपाल। अध्यापकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सरकार ने अध्यापकों के वेतन से पेंशन खाते में जमा करने के लिए बीते पांच सालों (1 अप्रैल 2011 से फरवरी 2016) में काटी गई 890 करोड़ रुपए की राशि (एनएसडीएल) में जमा कर दी, लेकिन अपने हिस्से के 668 करोड़ रुपए जमा नहीं किए, जिससे अध्यापकों को पेंशन मिलना भी तय नहीं है। इस मामले को लेकर कांग्रेस ने सदन से वाॅक आउट किया।
शून्यकाल में उप नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन ने आरोप लगाया कि सरकार अध्यापक, संविदा और अतिथि शिक्षकों की मांगें नहीं मान रही है। उन पर लाठियां बरसाई जा रही हैं। बीते 18 महीने में इन सभी वर्गों के वेतन से 1440 करोड़ रुपए तो काट लिए, लेकिन अपने हिस्से की दस फीसदी राशि पेंशन फंड में जमा नहीं की। कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक रामनिवास रावत ने कहा कि सरकार को अपना अंश भी समय से जमा करना चाहिए, जिससे शिक्षकों को पेंशन मिलने में बाधा न आए।
इसके अलावा कांग्रेस ने सीहोर जिले में 50 दलित परिवारों द्वारा कथित तौर पर इच्छामृत्यु मांगे जाने का मुद्दा उठाते हुए सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया। कांग्रेस के जीतू पटवारी ने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीतासरन शर्मा ने उन्हें अनुमति नहीं दी।
प्राइवेट कालेजों की सीटें फुल, सरकारी कैसे खाली
कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि ऑनलाइन काउंसलिंग में प्राइवेट कालेजों की सीटें फुल हो गई और सरकारी कॉलेजों में सीटें खाली कैसे रह गईं? इस साजिश की सरकार को न्यायिक जांच कराना चाहिए। इसको लेकर मऊगंज से कांग्रेस विधायक सुखेंद्र सिंह ने ध्यानाकर्षण सूचना दी थी। इस पर चर्चा में कांग्रेस विधायक सुंदरलाल तिवारी ने आरोप लगाया कि कियोस्क में निजी कॉलेजों के दलाल बैठते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि पहले सरकारी कॉलेजों में सीट भरी जाएं, इसके बाद निजी कालेजों की सीटों का आंवटन हो। जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने कहा कि शिकायतें मिलने के बाद ही काउंसलिंग ऑनलाइन करके नई व्यवस्था लागू की गई है। एडमिशन के लिए 9 विकल्प भरने होते हैं। इस वर्ष काउंसलिंग के तीसरे चरण तक 3,12,504 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया है। काउंसलिंग दो अगस्त तक कर दी गई है। उन्होंने घोषणा की है कि इसके बावजूद यदि विद्यार्थी रह जाते हैं तो 3-4 अगस्त तक समय देंगे।
ऑनलाइन कारोबार पर टैक्स लगाने पर विपक्ष ने खड़े किए सवाल
ऑनलाइन कारोबार पर टैक्स लगाने को लेकर कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने कहा कि सरकार टैक्स वसूलने में अक्षम साबित हो रही है। यही वजह है कि ऑनलाइन टैक्स वसूलने का काम ठेके पर दिए जाने की तैयारी है। सरकार को अपने ही कर्मचारियों पर भरोसा नहीं है। वह बिचौलिए स्थापित करने के लिए कानून की एक धारा में बदलाव करना चाहती है। इससे आय नहीं बढ़ेगी, बल्कि नुकसान होगा। प्रभारी नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन ने कहा कि किस चीज पर कर लगेगा और किस पर नहीं? यह स्पष्ट नहीं है। डाकघर से आन ख्लाइन गंगाजल पर भी टैक्स लगा दिया है। विद्यार्थियों को भी छूट नहीं दी गई है। विस में वाणिज्यिक कर मंत्री जयंत मलैया ने मप्र स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर संशोधन विधेयक पेश किया था। मलैया ने कहा कि वसूली विभाग ही करेगा। इससे सरकार को प्रतिवर्ष 300 करोड़ रुपए की आय होने की उम्मीद है। इसके बाद संशोधन विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। गौरतलब है कि सरकार ऑनलाइन कारोबार पर 6 प्रतिशत टैक्स लेगी।