75+ का मंत्री नहीं तो 75+ का विधायक भी क्यों: बाबूलाल गौर | BJP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। गुरुवार को मध्यप्रदेश के मंत्रिमंडल से हटाने से नाराज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बुजुर्ग नेता बाबूलाल गौर ने शुक्रवार को अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि दिल्ली के नेताओं ने उनके सम्मान का कत्ल किया है। हालांकि वो कह रहे हैं कि भाजपा नहीं छोड़ेंगे, परंतु विधायक रहेेंगे या इस पद से भी इस्तीफा दे देंगे, इस पर विचार कर रहे हैं। इन चर्चाओं के चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शाम को गौर को चाय पर मुख्यमंत्री निवास भी बुलाया, क्योंकि यदि गौर ने इस्तीफा दे दिया तो एक और उपचुनाव सामने आ जाएगा और उपचुनाव से शिवराज अब घबराने लगे हैं। 

गौर ने यहां मीडिया से चर्चा करते हुए तल्ख लहजे में यह प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उनके सम्मान का कत्ल हुआ है। राजनीति अब व्यवसाय हो गई है। यह पूछने पर कि क्या वे विधायक पद से भी इस्तीफा देंगे, उन्होंने कहा कि वे इस पर विचार करेंगे। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे। गौर ने विधानसभा में भी मंत्रियों पर निशाना साधने का संकेत देते हुए कहा कि वे सदन में मंत्रियों से कामकाज पर सवाल पूछेंगे। उन्होंने बड़ी देर भई नंदलाला, तेरी राह तके बृजबाला गीत गाकर अपनी स्थिति बयां की। 

इससे पहले भाजपा नेता उनकी नाराजगी को दूर करने के प्रयास में लगे रहे। आज सुबह प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा उनसे मिलने उनके निवास पर पहुंचे। डॉ.मिश्रा ने उनसे काफी देर तक बातचीत की। इस दौरान गौर की बहू भोपाल की पूर्व महापौर कृष्णा गौर भी मौजूद थीं। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा, वरिष्ठ भाजपा नेता विक्रम वर्मा और रघुनंदन शर्मा भी गौर से मिलने पहुंचे थे। गौर ने कहा कि ये सभी उनसे अपनी संवेदना प्रकट करने आए थे। 

कांग्रेस भी भाजपा के इस अंदरूनी मामले में कूद पड़ी है। आज कांग्रेस की प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा भी श्री गौर से मिलने उनके निवास पहुंचे। मिश्रा ने कहा कि भाजपा ने श्री गौर का अपमान किया है। वे गौर के ईमानदार और लंबे राजनीतिक जीवन को सैल्यूट करने गए थे। 

शाम लगभग साढ़े सात बजे  गौर मुख्यमंत्री के बुलावे पर उनके सरकारी निवास पर पहुंच गए थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें बुलाया था, इसलिए वे वहां गए हैं। कल हुए मंत्रिमंडल विस्तार के पहले बाबूलाल गौर और सरताज सिंह से इस्तीफे ले लिए गए थे। उन्हें भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की गाइडलाइन के अनुसार 75 वर्ष से अधिक आयु होने के कारण मंत्रिमंडल से हटाया गया था।

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