नईदिल्ली। वैसे कांग्रेस और भाजपा में कोई खास अंतर दिखाई नहीं देता। जिन मुद्दों का विरोध करके भाजपा सत्ता में आई, वो मुद्दे आज भी ना केवल जिंदा हैं बल्कि जवान होते जा रहे हैं। आम आदमी पहले भी परेशान थे, अब भी हलाकान होते जा रहे हैं, परंतु एक मामले में दोनों पार्टियां बड़ी अलग निकलीं। बीजेपी ने हाल ही में 75+ के 4 मंत्रियों को जबरन वीआरएस थमा दिया वहीं कांग्रेस ने 75+ की महिला नेत्री को सीएम केंडिडेट घोषित किया है।
हमेशा युवा बने रहने की चाहत में बीजेपी ने मप्र में 75+ के 2 मंत्रियों बाबूलाल गौर और सरताज सिंह को चलता कर दिया। ऐसा नहीं था कि उन्होंने इसी महीने 75+ किए थे, लेकिन मंत्रीमंडल बदला तो दोनों को सरका दिया गया। रिकार्ड बोलता है कि दोनों मंत्री ना केवल सक्रिय थे बल्कि दोनों के पास प्रशासन की अच्छी पकड़ थी। दोनों ने भाजपा के लिए काफी कुछ किया। बस एक कमी थी, सीएम शिवराज सिंह चौहान की जी हुजूरी नहीं करते थे। इधर दिल्ली में भी मंत्रीमंडल का विस्तार हो गया। विस्तार के बावजूद मोदी मंडल में 75+ के 3 मंत्री थे। बवाल मचा तो 2 मंत्रियों नजमा हेपतुल्ला और जीएम सिद्धेश्वर को भी सरकाना पड़ा। अब पूरी भाजपा में अकेले कलराज मिश्र बचे हैं, जो 75 पार कर चुके हैं। माना जा रहा है कि यूपी चुनाव के बाद उन्हें भी वीआरएस थमा दिया जाएगा।
इधर कांग्रेस में उम्रदराज नेताओं की कमी ही नहीं है। वो महत्वपूर्ण पदों पर भी हैं। आज तो कांग्रेस ने 78 साल की युवा शीला दीक्षित को यूपी जैसे देश के सबसे बड़े राज्य का सीएम केंडिडेट घोषित कर दिया। यदि वो सरकार बनाने में कामयाब रहीं तो 83 की उम्र तक सीएम रहेंगी। अब इसके क्या मायने निकाले जाएं, कुछ आप भी दर्ज कीजिए, कमेंट बॉक्स में।