भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार में 75 वर्ष की उम्र पार कर चुके मंत्री कलराज मिश्र और नजमा हेपतुल्ला को न हटाए जाने से उम्र के आधार पर मध्यप्रदेश में मंत्री पद से हटाए गए सरताज सिंह को पार्टी का फैसला ज्यादती लगने लगा है।
अपने साथ हुई 'ज्यादती' पर अब वह चुप रहने वाले नहीं हैं। सरताज पार्टी हाईकमान से बात कर कहेंगे कि आखिर उनके साथ ऐसा क्यों किया गया? राजधानी में अपने आवास पर मंगलवार को चर्चा करते हुए सरताज सिंह कई बार भावुक भी हुए, वह यही कह रहे थे कि अगर उन्हें मंत्रिमंडल से हटाया ही जाना था तो पार्टी सिर्फ उन्हें आदेश दे देती तो वह पद छोड़ देते। यह कहने की जरूरत ही नहीं थी कि वह 75 वर्ष की आयु पार कर गए हैं।
सरताज सिंह ने कहा, "उन्हें प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे व प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने यही बताया था कि भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लिया है कि 75 वर्ष की आयु से ज्यादा के लोगों को मंत्री नहीं बनाया जाए, लिहाजा वे पद से इस्तीफा दे दें, पार्टी के निर्देश का पालन करते हुए पद से इस्तीफा दे दिया, मगर केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल के विस्तार में इस नीति का पालन नहीं हुआ, इससे कई सवाल मन में उठ रहे हैं।"
ज्ञात हो कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में नजमा हेपेतुल्ला और कलराज मिश्र भी 75 वर्ष की आयु पार कर गए हैं, इसी के चलते इस बात की चर्चा थी कि उन्हें भी मंत्री पद से हटा दिया जाएगा, मगर ऐसा हुआ नहीं।
सरताज सिंह का कहना है कि सिर्फ उन्हें और बाबूलाल गौर को उम्र के आधार पर हटाया जाना और केंद्रीय मंत्रियों को इसमें छूट देना सवाल तो खड़े करता ही है। उन्होंने कहा कि उनके साथ ऐसा क्यों हुआ, इसको लेकर वह राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने अपनी बात रखेंगे, उसके बाद ही कोई फैसला करेंगे।
सरताज ने कहा कि अगर राष्ट्रीय नीति है तो दो तरह के फैसले क्यों हुआ। उनका मानना है कि इससे पार्टी के फैसलों की विश्वसनीयता पर असर पड़ता है। राजनीति में विश्वसनीयता का ही महत्व होता है।
सरताज सिंह का कहना है कि वह तो हमेशा पार्टी के आदेश व निर्देश का सम्मान करते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र से जब कोई चुनाव लड़ने को तैयार नहीं था, तब उन्होंने चुनाव लड़ा और लगातार चार बार जीते।
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को हराया तो उसके बाद के चुनाव में उन्हें उम्मीदवार ही नहीं बनाया गया, तब भी उन्होंने पार्टी के फैसले पर कोई सवाल नहीं उठाए और अब उम्र की बात कहकर मंत्री पद से इस्तीफा लिया गया है। मगर इस बार वह पार्टी हाईकमान से बात जरूर करेंगे कि आखिर मध्यप्रदेश के दो मंत्रियों के साथ ही ऐसा क्यों हुआ?
बीते पांच दशकों से राजनीति में सक्रिय सरताज सिंह का कहना है कि वे जब राजनीति में आए थे, तब उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उम्र के आधार पर रिटायर्ड होने की बात आएगी। बाबूलाल गौर की चर्चा करते हुए सरताज कहते हैं कि जो आदमी लगातार दस बार विधानसभा का चुनाव जीता हो और लगातार जीत का अंतर बढ़ाते हुए विधायक बना हो, उसे उम्र के आधार पर हटाने का फैसला लोकतंत्र को ही कमजोर करने वाला माना जाएगा।